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क़लम का क़ातिल/ शुचि ‘भवि’

क़िताब लाये हो न बच्चों, चलो सब पेज नम्बर दस खोलो और कॉपी पेन जल्दी निकालो।सुनो संजू, आज तुम्हारी बारी है पढ़ने की और मनोज तुमको जो गाइड लाने कहा था वो लाये हो न, उससे संजू जो श्लोक पढ़ेगा उसका  अर्थ बोर्ड पर लिखो। बच्चों जल्दी जल्दी लिखना, और कल कॉपी जँचवाना। पेज ग्यारह […]

ईनाम/ शुचि ‘भवि’

आज सुब्ह-सुब्ह अख़बार की तरह मीना आयी थी।वेदिका को अंदेशा तो था कि वह आएगी ज़रूर, परन्तु इतनी सुब्ह, यह न सोचा था उसने।”नमस्ते मीना , कैसी हो।सब कुशल है न”, वेदिका ने दरवाज़ा खोलते हुए पूछा और मीना को आँगन के झूले तक ले आयी। झूले पर बैठते हुए मीना बोली, “आपने बिल्कुल सही […]

स्टेटस सिंबल/ शुचि ‘भवि’

देख मेरी बहन ने मुझे चाँदी की राखी बाँधी और तू दिखा न अपनी राखी? मदन ने जैसे ही राघव का हाथ देखना चाहा, राघव ने अपना हाथ पीछे कर,छुपा लिया।रक्षाबंधन की शाम को बाग़ीचे में इकट्ठे हुए बच्चों की बात सुनकर बेंच पर बैठे वृद्ध ने उन्हें अपने पास बुला कर पूछा, हम रक्षाबंधन […]

जलन की देवी/ शुचि ‘भवि’

वह टूट रही थी भीतर-भीतर और इस टूटन को छुपाने उल्टी-सीधी लकीरें खिंचती रहती थीं हर एक उसे अपना प्रतिद्वंदी दिखता था अब वह नक़्ल भी करने लगी थी हर किसी की हर बात की,,, मनगढ़ंत कहानियाँ बनाती स्वयं को सर्वश्रेष्ठ दर्शाती,,, बेसुरी बीन की तरह बजना उसे लुभाता था उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता […]

बाल कथा/शुचि ‘भवि’

एक जंगल में कुत्तों ने मिलकर एक सभा बना ली और निर्णय लिया कि अब वे अपना एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव व उपसचिव चुनेंगे।सर्वसम्मति से चुनाव हो गया।सब कुत्ते आपस में मस्त-व्यस्त थे।एक दिन एक मादा भेड़िया वहाँ से गुजर रही थी।अचानक उसने देखा कि सब कुत्ते बहुत ख़ुश हैं ।उसने अपना मन बना लिया […]

ताज़गी/शुचि ‘भवि’

दोनों पहले कभी नहीं मिली थीं, मगर इस तरह बातें कर रहीं थीं जैसे बचपन की सहेलियाँ हों।मानव सुलभ स्वभाव ऐसा ही तो है, अपने काम का मस्तिष्क व व्यवहार खोज ही लेता है। फिर ख़ूब बतियाता है और आनन्द का अनुभव करता है। ट्रेन का वह डिब्बा आज गुलज़ार था।एक बर्थ पर खाना-ख़ज़ाना चल […]

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