गूँगे को मीठा मिल जाये/डॉ प्रेमलता त्रिपाठी
गूँगे को मीठा मिल जाये, स्वाद नहीं कहने में आये । आज बहुत ही खुश हूँ प्रीतम,तुम मेरे सपने में आये। हीरे माणिक शब्द सजाकर, तुम से पाया आँचल में । बिछुड़े थे हम कहाँ तुम्हारे , करुणा बहती काजल में । आँख ढरे सुरमा सुषमा से,बूँद जहाँ गलने में आये। गूँगे को मीठा मिल […]