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उपवन के फूल/त्रिलोक सिंह ठकुरेला

हम उपवन के फूल मनोहर सब के मन को भाते। सब के जीवन में आशा किरणें नई जगाते ।। हिलमिल-हिलमिल महकाते हैं मिलकर क्यारी-क्यारी। सदा दूसरों के सुख दें, यह चाहत रही हमारी।। कांटो से घिरने पर भी, सीखा हमने मुस्काना। सारे भेद मिटाकर सीखा सब पर नेह लुटाना॥ तुम भी जीवन जियो फूल सा, […]

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