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सारा जग रोशन हुआ, रात हुई गुलजार/बिनोदानंद झा

कई मर्ज की है दवा, अपनेपन का भाव।

खुश रहना जो चाहते, सबसे रखें लगाव।।-1

मां तुलसी-सी पूज्य हैं, पिता बरगदी छांव।

भाव-करों से रोज ही, पूजें उनके पांव।।-2

सारा जग रोशन हुआ, रात हुई गुलजार।

एक दीप के सामने, गया अंधेरा हार।।-3

एक झोपड़ी तोड़कर, महल बनाते चार।

करते हैं भू माफिया, कपटी कारोबार।।-4

भरी कुटिलता भाव में, मुख पर है मुस्कान।

बहुत कठिन है आजकल, मानव की पहचान।।-5

मेल जोल संवाद से, सिंचित शुभ व्यवहार।

रिश्तों  में  पैदा  करे, प्यार  प्रीत  मनुहार।।-6

नेता नीति विहीन हो, भ्रष्ट अगर सरकार।

तब निश्चित ही देश का, होता बंटाधार।।-7

रिश्ते हैं सब झूठ के, मिथ्या यह संसार।

जीवन के दिन चार में, प्रभु ही सच्चा यार।।-8

कांटों के सानिध्य में, जैसे खिले गुलाब।

जीना दुख के साथ में, सीखें आप जनाब।।-9

भीगी-भीगी देह है, मन में बढ़ती प्यास।

सावन की बरसात में,जगी मिलन की आस।।-10

बूढ़ी आंखें बाप की, हुईं तभी लाचार।

जब बेटों ने खींच दी, ऑंगन में दीवार।।-11

भोली सूरत देखकर, कभी न भटकें राह।

दरिया की चुप्पी सदा, नहीं बताए थाह।।-12

बिनोदानंद झा

लेखक

  • बिनोदानंद झा साहित्यिक नाम:- बिनोद 'बेगाना' पिता का नाम:- गोविंद झा माता का नाम:- अरुणी देवी जन्म तिथि:- 02-03-1960 जन्म स्थान:- शंकरीगली, देवघर, झारखंड। शिक्षा:- एम.ए.,बी.एड. सम्मान :- बेस्ट टीचर्स एवार्ड, टाटा स्टील,जमशेदपुर । के अलावा देश की तमाम साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित । पता:- जमशेदपुर, झारखंड

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