बिटिया तेरे आ जाने से
महका मेरा घर-आँगन
देखा तुझको तब ही जाना
क्या होता है यह दर्पण
तू मेरे सपनों की गुडिय़ा
तू मेरे आँगन की चिडिय़ा
ठुमक-ठुमक कर जब तू चलती
भर आता नैनों मे पनिया
एक दिवस तू उड़ जाएगी
पहन के पाँव में पेजनिया
जब तू होले से मुस्काई
मानो चले मधुर पुरवाई
देख तुझे सयानी होते
मन में आती बहुत कपाई
कैसे बचाऊँ जालिम दुनिया से
सोच के मैं तो बस घबराई
खुश रहे सदा तू बिटिया
करती यही दुआ तेरी माई
कीर्ति श्रीवास्तव
बिटिया/कीर्ति श्रीवास्तव