तू धूप तो मैं तेरी छाया हूँ
तू दिया तो मैं उसकी बाती हूँ
तू मेरे सुरों का साज है
मैं कश्ती तो तू पतवार है
प्रेम क्या है बतलाया तूने
प्रेम का सही रंग दिखलाया तूने
सुख-दु:ख जीवन के दो रास्ते हैं
सुख का तू साथी है तो
तेरे दु:ख की मैं संगिनी हूँ
कम ज्यादा की बात
मैं करूँगी नहीं
सम-विषम पर ध्यान
धरूँगी नहीं
बस एक सच को तू मान ले
मैं तेरी हूँ, तू मेरा हैं
ये जान ले
दिल से निकली ये बात है सनम
तुझ पर सदा विश्वास है सनम…..
कीर्ति श्रीवास्तव
तेरी छाया हूँ/कीर्ति श्रीवास्तव