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गज़ल-नौच कर खा गया/मुझको सज़ा देगा दिल/कृष्णा शर्मा ‘दामिनी’

उसने इक बार जो बोला कभी मुमताज़ मुझे उड़ गया ले के मेरा जज़्ब ए परवाज़ मुझे तू अकेला है कहां हर जगह हाज़िर मैं हूँ दे के तो देख कभी धीरे से आवाज़ मुझे अपने बचपन की सहेली से भी गर बात करूँ देखे मशकूक नज़र से मेरा हमराज़ मुझे एक मुद्दत से अधूरी […]

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