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इस जीवन का क्या एतबार करुं/लखनलाल माहेश्वरी

इस जीवन का क्या एतबार करुं
जीवन में कुछ नही है मेरा क्या विचार करुं
जीवन संघर्ष का एक डेरा है
संघर्ष से लडकर जीवन बेकार करुं। ।

इन सांसो का कोई एतबार नहीं है
अंत समय में साथ नहीं देती है
क्या पता इन सांसो का कब रुक जाएं
यह दुनिया पल भर में दूर हो जाय। ।

जीवन में धन का क्या अंहकार करुं
धन जीवन को नहीं बचा सकता क्या विश्वास करुं
धन में इतनी शक्ति नहीं जो यमरज को रोक सके
जो धन अन्त समय में प्राणों को ना बचा सके। ।

मेरा तन सुन्दर है क्या एतबार करुं
तन, मन सब सुन्दर है सबसे दूर करुं
यह तन क्या काम आयेगा
जो अन्त समय में मेरा बोझ उठा पायेगा।।

इस जीवन की अच्छी अदालत भगवान की है
जहां जीवन की कोई वकालत नहीं होती है
प्रेम लखन कहे यदि वहां सजा हो जाय
तो उसकी वकालता नहीं होती है।। ।

लेखक

  • नाम,,लखनलाल माहेश्वरी शिक्षा,,एम,ए, भूगोल एम,काम, इ,एफ एम बी एड, एम, एड साहित्यिक,,अनुभूति पुस्तक काव्य संग्रह 1450 कविताओ व भजनो का संग्रह विभिन्न पत्र पत्रिकाओ मे 150 कविताओ व लेखो का प्रकाशन विभिन्न संस्थाओ द्वारा बीस सम्मान पत्र प्राप्त।

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