पुनः शकुनि की कपट-चाल से, एक युधिष्ठिर छला गया है/राहुल द्विवेदी ‘स्मित’
पुनः शकुनि की कपट-चाल से, एक युधिष्ठिर छला गया है। घर-घर वही हस्तिनापुर सी, कुटिल विसातें बिछी हुई हैं। चौसर-चौसर छल-छद्मों से, ग्रसित गोटियाँ सजी हुई हैं। दरबारी हैं विवश सभा में, कौन धर्म का पासा फेंके कौन न्याय-अन्याय बताये, सबकी आँखें झुकी हुई हैं। लगता है चेहरों पर इनके, रंग स्वार्थ का मला गया […]