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पुनः शकुनि की कपट-चाल से, एक युधिष्ठिर छला गया है/राहुल द्विवेदी ‘स्मित’

पुनः शकुनि की कपट-चाल से, एक युधिष्ठिर छला गया है। घर-घर वही हस्तिनापुर सी, कुटिल विसातें बिछी हुई हैं। चौसर-चौसर छल-छद्मों से, ग्रसित गोटियाँ सजी हुई हैं। दरबारी हैं विवश सभा में, कौन धर्म का पासा फेंके कौन न्याय-अन्याय बताये, सबकी आँखें झुकी हुई हैं। लगता है चेहरों पर इनके, रंग स्वार्थ का मला गया […]

इस जीवन का क्या एतबार करुं/लखनलाल माहेश्वरी

इस जीवन का क्या एतबार करुं जीवन में कुछ नही है मेरा क्या विचार करुं जीवन संघर्ष का एक डेरा है संघर्ष से लडकर जीवन बेकार करुं। । इन सांसो का कोई एतबार नहीं है अंत समय में साथ नहीं देती है क्या पता इन सांसो का कब रुक जाएं यह दुनिया पल भर में […]

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