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मेरे लड़के के जीवन में/मयंक श्रीवास्तव

मेरे लड़के के जीवन में

मेरे लड़के के जीवन में।

आकर गाँव शहर का लड़का

फिर भोपाल गया।

मेरे लड़के के जीवन में

आ भूचाल गया।

 

मेरा लड़का जान गया

क्या होती बिरियानी

पीने से पहले शराब में

मिलता है पानी

वापस जाते समय मीन का

स्वाद उछाल गया।

 

ड्रग की पुड़िया से उसकी

पहचान हो गई है

उसे हर समय लगता

कोई चीज खो गई है

सुबह देर से उठने वाली

आदत डाल गया।

 

सीख गया सुत ‘मटन’

माँस को बोला जाता है

मदिरा की बोतल को कैसे

खोला जाता है

मन उसका उजली चादर से

हो रूमाल गया।

लेखक

  • मयंक श्रीवास्तव प्रकाशित कृतियाँ- ‘उंगलियां उठती रहें’, ‘ठहरा हुआ समय’, ‘रामवती’ काव्य संग्रह। सम्मान- हरिओम शरण चौबे सम्म्मान (मध्य प्रदेश लेखक संघ), अभिनव शब्द शिल्पी सम्मान (मधुवन), विद्रोही अलंकरण सम्मान (विद्रोही सृजन पीठ), साहित्य प्रदीप सम्मान (कला मंदिर) वर्ष 1960 से माध्यमिक शिक्षा मण्डल मध्य प्रदेश में विभिन्न पदों पर रहते हुए वर्ष 1999 में सहायक सचिव के पद से सेवा निवृत।

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