धरती अम्बर चाँद सितारे
धरती अम्बर चाँद सितारे !
खफा खफा लगते हैं सारे !
नहीं बोलतीं आज हवाएँ
चुप चुप सी हैं सभी दिशाएँ !
संदेशों की प्यारी पाती
पढ़के अब हम किसे सुनाएँ
गुमसुम हैं दिनकर भी प्यारे ।
खफा —————-
दिवस लगे ज्यों सोया सोया
नदियों झरनों का मन खोया !
इक कोने में पंख छिपाए
मन का मोर बैठ कर रोया
देख देख खामोश नजारे ।
खफा —————–
अब अंतस में संगीत नहीं
कोयल भी गाती गीत नहीं !
अविरल बहतीं दोनों अँखियाँ
मन है लेकिन मनमीत नही
हम खड़े निराशा के द्वारे ।
खफा ——————-
लेखक
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छाया त्रिपाठी ओझा शिक्षा :--- एम.ए, बी.एड जीविका :--- अध्यापन (बेसिक शिक्षा परिषद) प्रकाशन :--- अक्षर अक्षर गीत (गीत संग्रह) साझा गीत संग्रह 'नेह के महावर', मोंगरे के फूल , सिलसिला,अभिव्यक्ति,शब्दों के इन्द्रधनुष एवं कुण्डलिनी लोक सहित देश भर की राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरन्तर प्रकाशन सम्मान :--- 'काव्य शलाका' सम्मान (साहित्य प्रोत्साहन संस्थान, मनकापुर गोंडा उप्र) कुण्डलिनी रत्न सम्मान (कवितालोक सृजन संस्थान लखनऊ उ.प्र) काव्य श्री सम्मान (डा. लालता प्रसाद साहित्य सेवा संस्थान, मिल्कीपुर फैजाबाद उप्र) रचना सम्मान (सुभांजलि प्रकाशन, ट्रांसपोर्ट नगर कानपुर उ.प्र)
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