बन जाएंगे हम भी राम
सीता सी वाइफ दिलवा दो, बन जाएंगे हम भी राम।
बँध जाएंगे मर्यादा में, छोड़ अनर्गल सारे काम।
विजिट कर रहीं डिजिटल बहुएं,ब्यूटी पार्लर,शॉपिंग मॉल।
मेड सँभाले बेबी इनके , बनी हुईं खुद बेबी डॉल।
‘पिज़्ज़ा हट’ में खाकर पिज़्ज़ा, हो जाता है इनका लंच,
डिनर कुकिंग के समय किचन में,कर लेतीं हैं हमको कॉल।
बना लिया है बाबू ,सोना, जानू कह कर हमें गुलाम ।
सीता सी वाइफ दिलवा दो, बन जाएंगे हम भी राम।
सुबह सुबह ट्विटर एफ.बी. पर,अति आवश्यक है अपडेट।
बच्चे हों एब्सेंट क्लास में , या डैडी आफिस को लेट।
सोशल प्लेटफार्म पर रहना, इनको आठों पहर पसन्द,
लव रिएक्ट, लाइक, कमेन्ट्स से,भरता नहीं कभी भी पेट।
इनकी देख देखकर सेल्फी , बोर हो गया इंस्ट्राग्राम ।
सीता सी वाइफ दिलवा दो, बन जाएंगे हम भी राम।
एवलेबल है कहाँ सभी को, पति राघव सा दिव्य अनूप।
छाया बनकर इस कलियुग में,कदम कदम पर छलती धूप।
वधू वही बन सके अवध की, जिस पर गौरी का आशीष,
सुर्पणखाएं ट्रायल करतीं, फिर भी बदल बदल कर रूप।
लंकापति की इन बहनों पर, कहो लखन से कसें लगाम।
सीता सी वाइफ दिलवा दो, बन जाएगें हम भी राम।
लेखक
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पूरा नाम - सुनील कुमार त्रिपाठी पिता का नाम - स्व. पंडित चन्द्र दत्त त्रिपाठी "शास्त्री" माता जी का नाम- स्व.रामपति त्रिपाठी जन्म तिथि - ९ अगस्त १९६८ स्थायी निवासी - ग्राम-पीरनगर पोस्ट -कमलापुर ,जिला-सीतापुर निवास जन्म से लखनऊ में- स्थानीय पता:- 288/204 आर्यनगर लखनऊ -226004
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