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जरूरत हाथ जोड़े/सुनील त्रिपाठी

जरूरत हाथ जोड़े सैकड़ों दुत्कार सहकर फिर खड़ी है, द्वार पर ऋण के, जरूरत हाथ जोड़े। लत लगी जब से परिश्रम को नशे की, भूख खाली पेट लेटी, तिलमिलाती। बोझ पलकों पर उठाए, भोर जागे, लौटती है सांझ हर दिन, लड़खड़ाती। दाल आटा तेल सब्जी सब नदारद, नाक भौं छूँछी रसोंई भी सिकोड़े। काँपता असमर्थता […]

चुल्लू भर भर आँसू तोले/सुनील त्रिपाठी

चुल्लू भर भर आँसू तोले जहाँ – जहाँ,सम्बन्ध टटोले। मिले वहीं पर, पड़े फफोले। निष्ठा ने कंधे पर अपने झूठे अभियोगों को ढोया। स्वप्न वही हो गया विखण्डित, जिसको जितना अधिक सँजोया। त्याग,समर्पण,और प्रेम ने, समय समय पर बदले चोले। जहाँ – जहाँ ,.सम्बन्ध टटोले। मिले वहीं पर, पड़े फफोले। निकला सगा न वह चूल्हा […]