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Month: मार्च 2023

मैं प्रतीक्षारत रहूँगा/सुनील त्रिपाठी

मैं प्रतीक्षारत रहूँगा शेष उर में, श्वांस जब तक,या अखंडित आस जब तक मैं प्रतीक्षारत रहूँगा , मैं प्रतीक्षारत रहूँगा। हों न जाती पूर्ण जब तक, चिर प्रतीक्षित कामनाएं। या न मिलती सिद्धि जब तक,निष्फलित सब साधनाएं। तज न देता ताप जब तक, काम संयम से लिपटकर, या बिलों में घुस न जाती, फन उठाती […]

किस किस का उपचार लिखूँ/सुनी्ल त्रिपाठी

किस किस का उपचार लिखूँ कहाँ कहाँ किस उर के भीतर, कितने भरे विकार लिखूँ। व्याधि ग्रस्त सब नख से शिख तक,किस किस का उपचार लिखूँ। भक्षक सारे नज़र आ रहे, रक्षक के किरदारों में। धर्म प्रवर्तक लगे हुए हैं, नारी के उद्धारों में। काका मामा फूफा मौसा, मास्टर जी तक मुन्नी के, करते सब […]

पत्थर की बटिया से/सुनील त्रिपाठी

पत्थर की बटिया से बाबा गांठ तुम्हारी बाँधी , किसने टूटी खटिया से। क्यों दादी कुछ नहीं मांगती,अब पत्थर की बटिया से। कभी सवेरे लोटा भरकर, छाछ पिया करते थे तुम। दोनों पहर दिव्य भोजन का,स्वाद लिया करते थे तुम। भात कटोरा भर अब खाते, आलू की दो गटिया से। क्यों दादी कुछ नहीं मांगती,अब […]

बन जाएंगे हम भी राम/सुनील त्रिपाठी

बन जाएंगे हम भी राम सीता सी वाइफ दिलवा दो, बन जाएंगे हम भी राम। बँध जाएंगे मर्यादा में, छोड़ अनर्गल सारे काम। विजिट कर रहीं डिजिटल बहुएं,ब्यूटी पार्लर,शॉपिंग मॉल। मेड सँभाले बेबी इनके , बनी हुईं खुद बेबी डॉल। ‘पिज़्ज़ा हट’ में खाकर पिज़्ज़ा, हो जाता है इनका लंच, डिनर कुकिंग के समय किचन […]

भीख मांगता फिरे बुढ़ापा/सुनील त्रिपाठी

भीख मांगता फिरे बुढ़ापा भीख मांगता फिरे बुढ़ापा, हाड़ माँस का लेकर काँसा। दो बीघे खेती पुश्तैनी पास धरी गिरवीं बनिया के।, हाथ हुए तब जाकर पीले , किस्मत की खोटी धनिया के। पोते, बहू साथ बड़कन्ना गया मुंबई देकर झांसा। भीख मांगता फिरे बुढ़ापा, हाड़ माँस का लेकर काँसा। राह पकड़ ली , छुटकन्ने […]

जरूरत हाथ जोड़े/सुनील त्रिपाठी

जरूरत हाथ जोड़े सैकड़ों दुत्कार सहकर फिर खड़ी है, द्वार पर ऋण के, जरूरत हाथ जोड़े। लत लगी जब से परिश्रम को नशे की, भूख खाली पेट लेटी, तिलमिलाती। बोझ पलकों पर उठाए, भोर जागे, लौटती है सांझ हर दिन, लड़खड़ाती। दाल आटा तेल सब्जी सब नदारद, नाक भौं छूँछी रसोंई भी सिकोड़े। काँपता असमर्थता […]

चुल्लू भर भर आँसू तोले/सुनील त्रिपाठी

चुल्लू भर भर आँसू तोले जहाँ – जहाँ,सम्बन्ध टटोले। मिले वहीं पर, पड़े फफोले। निष्ठा ने कंधे पर अपने झूठे अभियोगों को ढोया। स्वप्न वही हो गया विखण्डित, जिसको जितना अधिक सँजोया। त्याग,समर्पण,और प्रेम ने, समय समय पर बदले चोले। जहाँ – जहाँ ,.सम्बन्ध टटोले। मिले वहीं पर, पड़े फफोले। निकला सगा न वह चूल्हा […]

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