सुबह-सुबह कोयल का गाना/सजल/वसंत जमशेदपुरी

सुबह-सुबह कोयल का गाना,अच्छा लगता है |
प्रियजन से मिलना-बतियाना,अच्छा लगता है ||

रजनीगंधा,जुही,चमेली,शेफाली महके |
उपवन में भँवरों का आना, अच्छा लगता है ||

उसकी गलियों में गुल चुनना, कौन नहीं चाहे |
दामन में खुशबू भर लाना,अच्छा लगता है ||

कलियों-सा मुस्काना उसका,शहदीली बातें |
बात-बात पर खिल-खिल जाना अच्छा लगता है ||

आँखों में मधु की मादकता,रूप सुराही-सा |
यौवन की मदिरा छलकाना,अच्छा लगता है ||

करे इशारे रह-रह मुझको,चूड़ी की खन-खन |
नजर मिला कर नजर चुराना,अच्छा लगता है ||

मन में लड्डू फूटें फिर भी,होठों पर ताले |
पलकें नीची कर शरमाना,अच्छा लगता है ||
सुबह-सुबह कोयल का गाना/सजल/वसंत जमशेदपुरी

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