गीत अभी तक ज़िंदा है/डॉ. बिपिन पाण्डेय

लेखक

  • डाॅ. बिपिन पाण्डेय
    जन्म तिथि: 31/08/1967
    पिता का नाम: जगन्नाथ प्रसाद पाण्डेय
    माता का नाम: कृष्णादेवी पाण्डेय
    शिक्षा: एम ए, एल टी, पी-एच डी ( हिंदी)
    स्थाई पता : ग्राम - रघुनाथपुर ( ऐनी)
    पो - ब्रह्मावली ( औरंगाबाद)
    जनपद- सीतापुर ( उ प्र ) 261403
    रचनाएँ (संपादित): दोहा संगम (दोहा संकलन), तुहिन कण (दोहा संकलन), समकालीन कुंडलिया ( कुंडलिया संकलन)
    मौलिक- स्वांतः सुखाय (दोहा संग्रह),शब्दों का अनुनाद ( कुंडलिया संग्रह) ,अनुबंधों की नाव ( गीतिका संग्रह), अंतस् में रस घोले ( कहमुकरी संग्रह)
    साझा संकलन- कुंडलिनी लोक, करो रक्त का दान, दोहों के सौ रंग, भाग-2,समकालीन मुकरियाँ ,ओ पिता!, हलधर के हालात, उर्वी, विवेकामृत-2023,उंगली कंधा बाजू गोदी, आधुनिक मुकरियाँ और अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन।
    पुरस्कार: दोहा शिरोमणि सम्मान ,मुक्तक शिरोमणि सम्मान,कुंडलिनी रत्न सम्मान,काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान, साहित्यदीप वाचस्पति सम्मान,लघुकथा रत्न सम्मान ,आचार्य वामन सम्मान आदि
    वर्तमान पता :
    केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2, रुड़की, हरिद्वार ( उत्तराखंड) 247667
    चलभाष : 9412956529

    View all posts
गीत अभी तक ज़िंदा है
कैसे अलग करोगे बोलो
साँसों का बाशिंदा है,
सतयुग त्रेता द्वापर बीते
गीत अभी तक ज़िंदा है।
लाख यत्न सब करके हारे
चलती हैं इसकी साँसें,
रोक न पाई दुनिया इसको
भले लगाईं पग फाँसें।
वधिक पाश में कभी न फँसता
ये आज़ाद परिंदा है।।
गीत अभी तक ज़िंदा है।
साथ नहीं थी खिड़की कोई
सदा दरारों से ताका,
माल पुआ की बातें छोड़ो
करता आया है फाका।
गिला नहीं गैरों से कोई
अपनों से शर्मिंदा है।।
गीत अभी तक ज़िंदा है।
भीड़ भरी दुनिया की महफ़िल
रहता है तन्हाई में,
चलने लगतीं थमती साँसें
यादों की पुरवाई में।
सदा प्रशंसा समझ जिया है
तोड़ न पाई निंदा है।।
गीत अभी तक ज़िंदा है।
गीत अभी तक ज़िंदा है/डॉ. बिपिन पाण्डेय

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *