ईंट ढंग से जोड़िए
यह क्या कर रहे हैं आप
धड़ाधड़ ईंट जोड़ रहे हैं
न तौल न माप
गारा भी नहीं डाल रहे हैं ठीक से
हर ईंट भाग रही है पहले की लीक से
कोई तिरछी है तो कोई आड़ी है
अंधा भी कह देगा यह मिस्त्री अनाड़ी है
अरे!आप घर बना रहे हैं
कोई कविता लिख रहे हैं थोड़े
कि उठाया कागज
और छोड़ दिए शब्दों के घोड़े
वह भी बेलगाम
पर कवि को इससे क्या काम?
उसे तो हड़बड़ी है
फेसबुक पर पोस्ट करने की
भूख है-
वाह-वाह,सुंदर,खूबसूरत जैसे कमेंट्स की
जो तृप्त करते हों उसके अहं को
और चाहत है
लाइक्स के मोतियों से
अपनी झोली भरने की
इसलिए कवियों को छोड़िए
घर बना रहे हैं आप
ईंट ढंग से जोड़िए |
ईंट ढंग से जोड़िए ||
कविता/वसंत जमशेदपुरी
