पुलिस अफ़सर/कविता/नागार्जुन
जिनके बूटों से कीलित है, भारत माँ की छाती जिनके दीपों में जलती है, तरुण आँत की बाती ताज़ा मुंडों से करते हैं, जो पिशाच का पूजन है अस जिनके कानों को, बच्चों का कल-कूजन जिन्हें अँगूठा दिखा-दिखाकर, मौज मारते डाकू हावी है जिनके पिस्तौलों पर, गुंडों के चाकू चाँदी के जूते सहलाया करती, जिनकी […]