सरगम/कीर्ति श्रीवास्तव
झरोखे से देखती रिमझिम बारिश की बूंदों को सावन की वो पहली बारिश भीगो गई मेरे मन को और याद दिला गई उस सावन को जब साजन के आने की राह ताकती थी मैं पीहर के द्वार पर छोड़ गए थे जो उदर में पल रहे एक बीज के साथ चंद नोटों की खातिर कुछ […]