गुप-चुप रोएं कब तक ।
पलक निचोएं कब तक।।
आंसूं-आंसूं लिख कर ।
कलम भिगोएं कब तक।।
गहरे दाग लगे हैं ।
दामन धोएं कब तक।।
कदम कदम पर धोखा।
निष्ठा बोएं कब तक ।।
नफरत की आंधी में।
प्रेम बिलोएं कब तक।।
हम-आप सियासत की।
बदबू ढोएं कब तक।।
वीर-बहादुर सैनिक ।
रण में खोएं कब तक।।
दिलजीत सिंह रील
लेखक
कदम कदम पर धोखा/दिलजीत सिंह रील