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मौसम मन को भाया प्यारे/दिलजीत सिंह रील

मौसम मन को भाया प्यारे ।
लौट जमाना आया प्यारे।।

कुत्ता गिरगिट मगरमच्छ का।
क्या क्या रंग दिखाया प्यारे।।

गा गा कर लोरी जनता को।
गहरी नींद सुलाया प्यारे ।।

देश भक्ति के दांत दिखा कर।
देश दबा कर खाया प्यारे।।

हम सारे देश विदेशों में।
घूमें और घुमाया प्यारे।।

हम रावण हैं दिल से मुंह से।
राम नाम को गाया प्यारे।।

राम अलग है अलग खुदा है।
दोनों को लड़वाया प्यारे।।

जीत गये तो मंदिर मस्जिद।
सबने साथ निभाया प्यारे।।

हार गये तो पूजा वूजा।
कुछ भी काम न आया प्यारे।।

दिलजीत सिंह रील

लेखक

मौसम मन को भाया प्यारे/दिलजीत सिंह रील

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