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‘’हीरा’’ का राज़/अंजली खेर

ऑफिस में ट्रांसफर-प्रमोशन का दौर जोरों पर था,,, ज्‍यों-ज्‍यों ऑफिस ऑर्डर जारी होते जा रहे थे,, ऑफिस के एम्‍प्‍लाई को आपस में चर्चा के लिए नए-नए मुद्दे मिलते जा रहे थे,, यही तो ऑफिस गॉसिपिंग हैं,, इस बार किसका प्रमोशन हुआ, किसका रूका,, क्‍यों रूका,, किसकी पोस्टिंग कहा हुई,,, मनचाही जगह पर क्‍यों नहीं हुई,, वगैरा-वगैरा ।
पर अभी हाल लेटेस्‍ट न्‍यूज यह थी कि ब्रांच में एक लेड़ी ऑफिसर का दिल्‍ली से ट्रांसफर हुआ  और उसे एक सप्‍ताह  में ज्‍वाइन करना हैं । कहते हैं न कि व्‍यक्ति के पहले उसकी पर्सनेलिटी के तड़के की महक पहले ही फैल जाती हैं,,, यहा भी यही हुआ,, ‘’फाल्‍गुनी हीरा’’ के साथ भी यही हुआ ।  कुछ ने दिल्‍ली में काम करने वाले अपने परिचितों के माध्‍यम से जानकारी जुटाई तो पता चला कि बहुत ही इंटेलिजेट, यंग,, डेशिंग और खूबसूरत हैं फाल्‍गुनी हीरा,,, साथ ही अनमेरिड भी,, यह बात सुनकर तो खुद के लिए स्‍वप्‍नसुंदरी सी जीवनसंगिनी की कल्‍पना करने वाले अनमेरिड़ जेंट्स के चेहरे पर तृप्ति और आस की मिलीजुली छटा सी बिखर गई थी,, दो ही दिनों में उनके रहन-सहन की बेतरतीब सी आदतों में मेजिकल चेंज दिखने लगा । शायद वे अपनी-अपनी जिंदगी बनाने की कवायद में जुट गये थे,,क्‍या पता उनकी ही लॉटरी खुल जाये,, इसीलिए अप-टू-डेट रहना जरूरी भी हैं,, आखिर फर्स्‍ट इंप्रेशन इज लास्‍ट इंप्रेशन,,, सो नेट प्रेक्टिस जारी होना लाजिमी था । पर ’’कोरोना’’ के चलते मुंह पर मास्‍क लगाकर रहना उन्‍हें भारी बोझ सा लग रहा था ।   
आखिरकार सबके इंतज़ार की घडि़यां समाप्‍त हो गई,,, क्‍योंकि वीकएंड शनिवार के बाद अगले वर्किंग डे यानि सोमवार को ‘’फाल्‍गुनी हीरा’’ को ऑफिस में ज्‍वाइन करना था,, सबकी कोशिश थी कि सुबह ऑफिस में समय से पहले ही पहुंचकर उस अपूर्व सुंदरी के दीदार सबसे पहले करें,, स्‍पेशली जेंट्स तो वेल ड्रेसअप होकर आधा घंटा पहले ही पहुंच गये थे, वरना तो सरकारी ऑफिस में इस तरह और समय से ऑफिस आने की कोई प्रेक्टिस नहीं होती । सभी आपस में दूर से ही हाय-हैलों में व्‍यस्त थे कि तभी फार्मल ड्रेसअप,, स्‍टेप्‍स में कटे काले-घने कमर तक झूलते सुंदर घुंघराले बाल,, , भूरी कज़रारी आंखें और गोरी चिट्टी रंगत वाली फाल्‍गुनी को मेचिंग मास्‍क में देख सबकी आंखे खुली की 
खुली सी रह गई । यदि ये मास्‍क उसके चेहरे पर न होता तो शायद 6-8 तो उसी समय वही खड़े-खड़े गिर ही गये होते । 
समय की नज़ाकत को समझते हुए राहुल  आगे बढ़कर मौके पर हाथ झटकने की पहल करते हुए बोला –‘’हाय,, गुड मॉर्निंग,,आप फाल्‍गुनी मैडम हैं न,,,, सुनकर फाल्‍गुनी ने मुस्‍कुराते हुए कहा-‘’जी हां, मैं फाल्‍गुनी हीरा’’,,, 
और मैं राहुल त्‍यागी,, पॉलिसी सर्विसिंग डिपार्टमेंट
वॉववच,, नाइस टू मीट यू राहुल सर
आइये मैं आपको मैनेज़र के चेंबर ले चलता हूं – मैनेज़र के चेंबर की ओर इशारा करते हुए राहुल फाल्गुनी के साथ चल पड़ा । थोड़ी ही देर बाद मैनेज़र बाहर आकर पूरे स्‍टॉफ से फाल्‍गुनी का इंट्रॉडक्‍शन कराते हैं और अंत में ऑफिस सर्विसेज़ डिपार्टमेंट में उसक सीट दिखाते हैं ।
थैंक्‍यू सर,, कहकर फाल्‍गुनी अपना खूबसूरत सा लेटर बैग सीट के पीछे रखी बड़ी सी टेबल पर रखती हैं । कुर्सी पर बैठते ही उसे टेबल पर धूल दिखती हैं तो ऑफिस बॉय को बुलाकर अगले दिन से ऑफिस टाइम से पहले आकर सफाई करने की हिदायत देकर साफ कपड़े से टेबल पोंछने को कहती है । 
फिर अपने डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को बुलाकर मीटिंग लेती हैं,,, कोरोना के चलते 50 परसेंट अटेंडेंस के कारण फाल्‍गुनी के डिपार्टमेंट में चार में से दो ही इम्‍प्‍लाइज आज ड्यूटी पर थे,,, उनके लिए चाय मंगवाकर डिपार्टमेंट के काम-काज का जायजा लेती हैं । उन दोनों से फाल्‍गुनी को ऑफिस की कई सारी अव्‍यवस्‍थाओं की जानकारी मिलती हैं ।  
डिपार्टमेंटल मीट के समाप्‍त होते ही ऐश्‍वर्य फाल्‍गुनी के पास आता हैं, 
‘’फाल्‍गुनी मैडम,,, किसी भी तरह की हेल्‍प चाहिए तो मुझे याद कीजिएगा,, 
हां जी एश्‍वर्य सर,,, आप अकाउंट्स डिपार्टमेंट में हैं न,,,
आपकी याददाश्‍त का जवाब नहीं,,एक बार के इंर्टॉडक्‍शन में ही आपको नाम के साथ मेरा डिपार्टमेंट भी याद रहा,, ग्रेट मैडम,,, यू आर रियली ग्रेट
थैंक्‍स सर,,, पर अभी मुझे नहीं,,,आपके डिपार्टमेंट को ही आपकी हेल्‍प की ज्‍यादा जरूरत हैं,, देखिये कैशियर के पास बहुत भीड़ हो रखी है
हा मैडम,,, ये तो यहा रोज़ का ढ़र्रा हैं,, न तो भीड़ पर कंट्रोल ही रह पाता हैं, न ही फिजि़कल डिस्‍टेंसिंग ही मेंटेन हो पाती हैं,,कस्‍टमर मानते ही नहीं
ऐसे कैसे चलेगा सर,,, कस्‍टमर को सर्विस देनी हैं पर हमें भी तो सुरक्षित रहना होगा न,,ये उनके और हमारे दोनों के लिए जरूरी हैं,,,,
वो तो हैं,,, अब एन्‍ट्रेंस गेट बड़ा हैं तो सारे कस्‍टरमर और एजेंट्स बिंदास आते चले जाते हैं,,,
सामने बैठे गार्ड की ड्यूटी में ये सारी बातें शामिल होती हैं,, कोई उसे कुछ नहीं बताता क्‍या,,,,
कौन इनिशिएटिव लेगा मैडम,,, यहां सब अपना समय काट रहे हैं,, 
कोई आगे नहीं आता तो हम आगे आयेंगे,,, हम व्‍यवस्‍था बनाएंगे,, एक काम कीजिए आप पूरे ऑफिस का मुआयना कराइये,, देखते हैं,, कैसे कुछ व्‍यवस्‍था बन सकती हैं,, कोशिश करेंगे तो कोई न कोई हल तो निकलेगा ही
आइएं मैडम,,,,मैं आपको पूरा ऑफिस केंपस दिखाता हूं ।
फाल्‍गुनी ऑफिस के हर कोने का जायज़ा लेती हैं,,, तो किसी कोने की फोटो मोबाइल पर लेती है । वापस आकर ऑफिस ब्‍वाय से नोट पेड लेकर कुछ बातें नोट करती हैं । इसी बीच 02;00 बज जाता हैं तो स्‍मृति आकर फाल्‍गुनी से लंच के लिए पूछती हैं तो फाल्‍गुनी उससे पूछती हैं –‘आप लोगों ने मैनेज़र से कहकर लेड़ीज कॉमन रूम बनवाने के लिए  नहीं कहा क्या अब तक,,,
मैडम, हम लोगों ने बहुत बार कहा,, पर कितने ही मैनेज़र आये और गये,, पर सब दो साल टालमटोल कर निकल जाते हैं, ब्रांच के लिए कोई कुछ करना ही नही चाहता,,,अब तो कोरोना के चलते हम सब अपनी-अपनी सीट पर बैठकर ही खाना खाते हैं,, बिल्‍कुल मज़ा नहीं आता,,,
हा न,,भले ही इस कोरोना काल में आपस में खाना शेयर न करें,, पर कम से कम लंच टाइम में सब एक तो साथ रहे,, मैं अभी देखकर आई हूं,, अंदर वाले रूम में पूरी ब्रांच का कचरा भरा पड़ा हैं,, उसे हटवाकर जल्‍द ही हम वहां लेडीज़ कॉमन रूम बनवाएंगे,,40 प्‍लस वाली लेड़ीज की तबियत कभी भी नरम-गरम रहती हैं,, 10-05 मिनट उनको आराम करने के लिए भी तो जगह चाहिए होती हैं न,,,,,
अब आप ओ एस(ऑफिस सर्विसेज) डिपार्टमेंट में हैं तो ब्रांच की कायापलट हो सकती हैं,,, यही सोचकर हम सब बहुत खुश हैं,,,,
होगी,, क्‍यों नहीं होगी,, हम सब मिलकर अपनी ब्रांच को मॉडल ब्रांच का प्राइज़ जरूर दिलवाएंगे,,,,,
लंच टाइम हो चला था,,,सभी अपनी-अपनी सीट पर रफ कागज़ फैलाकर टिफिन रख खाना खाने बैठ गये । हाथ धोकर फाल्‍गुनी ने ज्‍यों ही अपना टिफिन खोला,, पूरे ऑफिस में खाने की खुशबू फैल गयी,,,
ओह वाववववव,,,,क्‍या खुशबू हैं,,, लगता हैं तेरी होने वाली भाभी के हाथों में जादू हैं,, वरना आज तक तो लंच में वो हीक भरे  गरम मसाले और लहसुन ही महकते थे,,,-ऐश्‍वर्य बोला
बड़ा आया,,, अपनी कद-काठी देखी हैं,, यदि फाल्‍गुनी मैडम के साथ खड़ा रहेगा तो वो ही तुझसे उँची दिखेगी,, ऊपर से तेरा डार्क काम्‍पलेक्‍शन,,, वो साढ़े पांच फीट और मैं छ: फीट,, रंग भी हम दोनों का ऑलमोस्‍ट एकसा ही हैं,,, हमारी जोड़ी खूब सजेगी,, तू अपना पत्‍ता भिड़ाने की कोशिश मत कर बीच में,,,राहुल बोलता हैं
अच्‍छा, तू बड़ा कॉन्फिडेंट हैं,, जैसे वो जयमाला लेकर तेरे ही प्रपोज़ करने का इंतजार कर रही हैं,, एक बात ध्‍यान रख,, जोडि़यां ऊपर से ही बनती हैं,, वो भी बेमेल ही,,, बाकी सब तो केवल फिल्‍मों में ही दिखता हैं- ऐश्‍वर्य से बात साफ करते हुए कहा
क्‍या छोड़ न यार,,,, सूत न कपास- जुलाहों में लट्ठम लट्ठा,,, देखते हैं किसकी दाल गलती हैं,, या कि दोनों की ही कच्‍ची रह जाती है – हंसते हुए राहुल बोला 
पर जो भी हो,, ऑफिस में एकदम जान सी आ गई हैं फाल्‍गुनी मैडम के आने से,, -ऐश्‍वर्य बोला
हां भाई,, ये तो है,,यार खाना खाते समय तो वह मास्‍क निकाली ही होगी,, एक झलक तो देख आऊॅ,, आज का दिन बन जायेगा मेरा – राहुल बोला
और वो दोबारा हाथ धोने के बहाने से फाल्‍गुनी के टेबल के सामने से होकर गुजरता हैं फिर रूककर उसके खाने की भींनी से लजीज खुशबू की तारीफ करता है । तो फाल्‍गुनी बताती हैं  कि ये उसके मॉ के हाथ की जादूगरी हैं,,,उसकी मां उसके लिए रोज़ ऐसे ही लजीज़ खाना बनाकर टिफिन में देती हैं,,, तो राहुल ने बेतकुल्‍लफी से उसके लिए भी एखाद बार लंच लाने की बात कही तो फाल्‍गुनी हंस दी और जल्‍द ही उसके लिए भी खाना लाने का वादा भी किया । 
लंच के बाद भी ऑफिस की सारी व्‍यवस्‍थाएं,, कामकाज जानते समझते,, सबसे थोड़ी गपशप होते होते शाम के साढ़े चार बजने को था,,, फाल्‍गुनी ने सारे ऑफिस ब्‍वायज् को बुलाकर अगले दिन से ऑफिस टाइम के पहले अपने-अपने डिपार्टमेंट की साफ-सफाई और से‍नेटाइजेशन करने को कहा । साथ ही हर डिपार्टमेंट हेड के साथ बात करके अपने-अपने डिपार्टमेंट के ओल्‍ड रिकार्ड डिस्‍ट्रक्‍शन की लिस्‍ट शनिवार के पहले तैयार करने की बात तय की । हेड ऑफिस में बात करके पुराने बेकार पड़े सामान को ठिकाने लगाने के लिए फॉलोअप करने के लिए मशविरा किया ।
अगले वर्किंग डे पर फाल्‍गुनी रानी कलर के बांधनी प्रिंट के सलवार सूट और हाइ पोनीटेल के एक अलग ही खूबसूरत लुक में जंच रही थी । उसने ऑफिस के कोने-कोने में जाकर देखा कि उसके आने के पहले ही सारे ऑफिस बॉयज समय से पहले आकर अपने-अपने डिपार्टमेंट की सफाई कर चुके थे । सुबह-सुबह ही फाल्‍गुनी ने राहुल  से बात करके सबसे पहले पी एस विभाग के ओल्‍ड रिकॉर्ड को अलग करने के लिए एक इम्‍प्‍लाइ के साथ ऑफिस ब्‍वाय  की ड्यूटी रिकार्ड रूम में लगा दी थी । फिर मैनेजर के चेंबर में जाकर सारी ब्रांच में एम्‍प्‍लाइज की सुरक्षा के लिए पॉलीथिन की व्‍यवस्‍था के साथ ही ऑफिस का एंट्रेंस मेन गेट से न करके साइकिल स्‍टेंड के छोटे गेट से करने की सलाह दी । 
ऑफिस में कैशियर के पास होने वाली भीड़ को कंट्रोल करने के लिए बाहर की ओर दो गज की दूरी पर कस्‍टकर के खड़े होने के लिए गोल घेर बना,, वही स्‍टूल पर सेनेटाइज़र रखकर  कैश काउंटर की खिड़की के माध्‍यम से टांजेक्‍शन करने की सलाह दी,,जिससे कस्‍टमर हाथ और नोट सेनेटाइज़ करके ही जमा करें,,,, ब्रांच मैनेज़र को फाल्‍गुनी की ये सारी सलाह जंच गई । उन्‍होनें ब्रांच के सारे हेड्स को बुलाकर इन सभी को इंम्‍प्‍लीमेंट करने के लिए उनका मत जानना चाहा,, सबकी सहमति के बाद उन्‍होंने  तुरंत हेड ऑफिस बात कर इन सारे सुझावों  के इम्‍प्‍लीमेंटेशन के लिए अनुमति मांगी ।
इतना होने के बाद फाल्‍गुनी ने ऑफिस के हर डिपार्टमेंट की  रफ स्‍टेशनरी को मंगाकर ऑफिस ब्‍वाय को  चिट बनाकर छोटी-छोटी गड्डी बनाकर मेन गेट पर गार्ड के पास रखे टेबल पर रखने को कहा ।
इतने में ही राहुल फाल्‍गुनी के पास आकर कहता हैं –‘’वाह मैडम,, आपके डिसीजन मेकिंग के क्‍या कहने,,, कहने को आज आपका ऑफिस में दूसरा ही दिन हैं,, पर ऐसा लग रहा हैं जल्‍द ही हमारी ब्रांच मॉडल ब्रांच बन जाएगी
ऑफकोर्स राहुल सर,,, हम घर से ज्‍यादा समय यहां गुज़ारते हैं,, यही से हमारी रोज़ी-रोटी चलती हैं,, फिर ऑफिस एनवायरमेंट हेल्‍दी हो तो काम भी एनर्जेटिक तरीके से होते हैं,, मेरी मां ने मुझे यही सिखाया हैं,, अपना काम ईमानदारी से करो और गलत बात को कभी सपोर्ट मत करो- एक्‍सक्‍यूज मी,,,,,,, कहकर फाल्‍गुनी बिन मास्‍क लगाएं घूमते एक कस्‍टमर को रोकती हैं और अपनी दराज में रखे एक बड़े से पैकेट में से एक मास्‍क निकालकर तुरंत मुंह पर बांधने को कहती हैं ।
मैडम,, ये इतने सारे मास्‍क आप अपने साथ रखती हैं,, किसने बनाये इतने सारे मास्‍क- राहुल पूछता हैं
मेरी मां ने,, दिन भर खाली समय में वह मास्‍क बना-बनाकर रखती हैं और हम दोनों ही जरूरतमंदों के साथ ही लापरवाहों को भी  मास्‍क देते हैं- फाल्‍गुनी बोली 
आपकी मॉ के विचार एकदम सुलझे हुए हैं,, शायद वो आपके बहुत करीब भी हैं- 
मॉ सबकी एकसी ही होती हैं राहुल सर,,, बस उसकी भावनाओं को समझने की शक्ति हमारे पास होनी चाहिए – फाल्‍गुनी बोली
ये तो वही जान सकता हैं जिसकी मॉ हो,, मुझ अभागे की किस्‍मत में ये सुख लिखा ही नहीं हैं मैडम- राहुल रूआंसा सा हो गया
ओह आय एम सॉरी राहुल सर,,,मुझे नहीं पता था- फाल्‍गुनी बोली
कोई बात नहीं मैडम,,हा तो अब अपना अगला कदम क्‍या होगा- राहुल ने बात बदली
सर,, मैने छोटी-छोटी चिट बनवाकर बाहर टेबल पर रखवाई हैं,, कोई भी कस्‍टमर अपनी क्‍वायरी इसमें लिखकर गार्ड को देगा,, वो रिलेटेड डिपार्टमेंट हेड को सौप देगा,, काम की जानकारी उस डिपार्टमेंट का ऑफिस ब्‍वाय बाहर जाकर कस्‍टमर को देगा,, इससे काम भी हो जाएगा और ऑफिस में भीड़ भी एकट्ठा नहीं होगी,, क्‍या सोचते हैं आप- फाल्‍गुनी ने बात रखी
अरे वाह,, शानदार आइडिया,, आय अग्रीड,,,,पर मैडम इन सारी कवायदों में मेरे लिए मॉ के हाथों का खाना लाना न भूलियेगा- राहुल बोला
आफकोर्स सर,, मुझे याद हैं,, पर अभी हमारी पड़ोसन के कोरोना पॉ‍जीटिव होने के बाद से उनके बच्‍चे हमारे ही घर पर होने के कारण आपको थोड़े दिन और वेट करना होगा,, हम किसी भी तरह की रिस्‍क नहीं ले सकते न – फाल्‍गुनी बोली
आप मॉ-बेटी दोनों ही ग्रेट है जी,, कितना कुछ करते हैं आप सबके लिए,, और एक हम हैं कि अपनी ही दीन-दुनिया में इतने उलझे हैं कि ये सब सोचने का विचार ही नहीं आता- राहुल आश्‍चर्यचकित था ।
कोई नहीं राहुल सर,, हम सबकी परवरिश और परिस्थितियां अलग-अलग रही,, फिर सोच भी अलग होगी ही न- फाल्‍गुनी से स्‍पष्‍ट किया
ये बात सच हैं,, फिर भी आज के कोरोनामय समय में आप दोनों इतना सब कैसे मैनेज करती हैं,, शायद आप जैसे लोगों के कारण ही धरती पर जीवन शेष हैं- राहुल बोला
अरे सर, ऐसा भी कुछ नहीं करते,, जितना बन पड़ता हैं, उससे ज्‍यादा तो कोई भी नहीं करता,, चलिए अब थोड़ा ऑफिस का काम भी देख लें- फाल्‍गुनी ने बात बढ़ाई
इस तरह से धीरे-धीरे ब्रांच की कायापलट होती दिखाई दी,,, जिस भी विभाग में कर्मियों के न आने से काम का प्रेशर बढ़ता, फाल्‍गुनी झट – पट सारा काम चुटकियों में निपटा देती,, किसी महिला कर्मी को घर में परेशानी होती तो, उसे घर भेज, उसके हिस्‍से का काम निपटा देती । उसके व्‍यक्तित्‍व, व्‍यवहार और काम करने के तरीके से जल्‍द ही वो सबकी चहेती बन गई, साथ ही कल पर टालने वालों के लिए काम करने की प्रेरणा भी । अब तो चेंबर में बैठने वाले ब्रांच मैनेजर ही ब्रांच का जायजा लेते,, सबसे मिलते-जुलते और आते-जाते फाल्‍गुनी को एप्रीशिएट करते रहते । 
जल्‍द ही स्‍टोर रूम साफ-सुथरे लेड़ीज कॉमन रूप में  तब्‍दील हो गया,, ब्रांच का एंट्रेंस साइकल स्‍टेंड के छोटे गेट से शुरू हो गया,, पास ही एक सिंक के पास लिक्विड सोप की व्‍यवस्‍था भी की गई जिससे आने वाला हाथ धोकर ही अंदर आये,, बाहर धूप में कस्‍टमर परेशान न हो इसके लिए छोटा पंडाल भी बना दिया गया,,, अब कैशियर के पास भी भीड़ कम होने लगी थी क्‍योंकि फाल्‍गुनी ने ब्रांच की मार्केटिंग टीम को ऑनलाइन पेमेंट एप यूज़ करना सिखा दिया थे, जिससे वे अपने कस्‍टरमर के पेमेंट घर बैठे ही जमा करने लगे थे, ब्रांच में हर टेबल के सामने पॉलीथिन लग गई थी जिससे अब सभी अपने स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर काफी हद तक चिंतामुक्‍त हो गये थे । साथ ही ब्रांच मैनेजर ने मार्केटिंग टीम को फुल सपोर्ट करने के लिए अपने मोबाइल के माध्‍यम से उनकी शिकायतों,, सलाहों और काम में मदद करने का काम भी जोरों पर शुरू कर दिया था,, जिससे उन्‍हें घंटों ऑफिस में बैठने, काम कराने के लिए रूकने की जरूरत ही नहीं होती ।
हमेशा अप-टू-डेट और एनर्जेटिक व हंसमुख फाल्‍गुनी को देख 40 प्‍लस  हो चली महिलाओं में भी जीने का उत्‍साह जाग उठा था,, अब वे भी जिंदगी जीने की कला फाल्‍गुनी से सीखने लगी थी ।
साफ-सुथरी, सिस्‍टमेटिक और कस्‍टमर को घर-बैठे सर्विस  देने वाली ब्रांच की प्रसिद्धि धीमें-धीमें पूरे शहर में हवा की तरह फैलने लगी थी,,कहते हैं न माउथ पब्लिसिटी से बढ़कर प्रसिद्धि का दूसरा कोई कारगर माध्‍यम नहीं ।
अन्‍य ऑफिस के लिए भी रोल मॉढल बनी ब्रांच को सेंट्रल ऑफिस ने पुरस्‍कृत करने का निर्णय लिया,, वहीं स्‍थानीय एस आई और कलेक्‍टर ने अन्‍य ऑफिसेस को भी इसी तरह इनवायरमेंट बनाने के लिए प्रेरित करने,, ब्रांच का दौरा किया । शाखा में विजिट कर जब ब्रांच मैनेजर को बधाईयां दी तो उन्‍होंने इन सभी कामों की कर्ता-धर्ता फाल्‍गुनी को चेंबर में बुलाकर इंट्रॉड्यूज किया । 
मात्र 24 साल की फाल्‍गुनी को देख कलेक्‍टर और एस पी दोनों दंग रह गये क्‍योंकि इतने सारे बेहतरीन डिसीजन लेने की वाले की इतने यंग होने की उन्‍होंने कल्‍पना भी नहीं की थी ।
इसके जवाब में फाल्‍गुनी बोली-‘’सर, इंसान उम्र से नहीं,, परिस्थितियों के थपेड़ों से अनुभवी बनता हैं,,, जिंदगी की धूप-छांव सबके हिस्‍से में बराबर नहीं होती,, मेरा जीवन तो झुलसादेने वाली लपटों से भरा था यदि मॉ के आंचल की छांव मुझे न मिलती,,, 
जब कलेक्‍टर और एस पी सर ने फाल्‍गुनी से उसके जीवन के बारे में जानना चाहा तो उसने बताया कि जब वह तीन साल की थी, तभी उसकी मॉ उसे हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ गई और उसके बाद पापा उसे जिस्‍म के सौदागरों को बेचने जब दो लाख का सौदा तय कर रहे थे,, जब समाज से तिरस्‍कृत समाज कहे जाने वाली ‘’किन्‍न्‍र -हीरा’’ ने उसे 4 लाख रूपये देकर खरीद लिया,, अपने पास रखकर अच्‍छी शिक्षा, बेह‍तर परवरिश की और आज मैं जो कुछ भी हूं,, मेरी मॉ ‘’हीरा’’ की वजह से हूं,, वही मेरी जिंदगी हैं । वरना तो मैं न जाने मैं किस गुमनाम नारकीय जिंदगी को जी रही होती,,, होती भी या नहीं,, पता नहीं,,,,,मॉ ने बताया कि वो फाल्‍गुन का महीना था,, और  मॉ से इसीलिए मेरा नाम फाल्‍गुनी हीरा रखा । 
हमेशा मुस्‍कुराती  ‘’फाल्‍गुनी हीरा’’ की आंखों में मोतियों से आंसू बाहर निकलने को आतुर हो चले थे,, क्‍या जानें बचपन की उस अघटित घटना के गम की परत को धोकर साफ करने या कि रिश्‍तों के आडंबरों से रहित इंसानियत के रिश्‍ते के जोड़ को मजबूती देने मानों तराई ही करने को छलक-छलक गिर पड़े हो ,,,,,
अंजली खेर

लेखक

  • अंजली खेर .उपलब्धियां:- पुस्तक "शतरंज और जीवन प्रबंधन" प्रकाशित तीस से अधिक कहानिया यू-ट्यूब पर प्रसारित बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" पर आधारित एक कहानी बिग एफ एम पर "हीरो ख्वाबों का सफ़र" कॉन्टेक्ट में द्वितीय स्थान पर रही एक वृद्ध आधारित कहानी अखिल भारतीय स्तर पर द्वितीय स्थान पर रही अमेरिका के पिट्सबर्ग से प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका "सेतु" में तीन लेखों का प्रकाशन दूरदर्शन भोपाल पर रचना प्रसारण

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‘’हीरा’’ का राज़/अंजली खेर

बहुवचन: 10 विचार “‘’हीरा’’ का राज़/अंजली खेर

  1. संचिता श्रीवास्तव कहते हैं:

    👌👌🙏🙏🙏एक महत्वपूर्ण पहलू की रोचक प्रस्तुति ….💐✌️

  2. वाह बहुत खूब!!!
    वाकई कभी कभी जो काम अपने नहीं करते वह काम कोई दूसरा सहृदय व्यक्ति कर जाता है। और तभी इन परिस्थितियों में हमें अपनी और परायों की पहचान होती है। अब यह भी सही है कि जहां साफ सुथरा वातावरण होगा वहीं पर लक्ष्मी का वास होगा और सब स्वस्थ होंगे। बहुत ही उत्कृष्ट शब्दों के चयन के साथ लिखी गई अत्यंत सुंदर कहानी ह्रदय को छू लेने वाली है।

  3. नीलिमा श्रीवास्तव कहते हैं:

    बहुत ही बढ़िया अंजलि….प्रेरणादायक कहानी हमेशा की तरह.. यूँ ही अच्छी अच्छी कहानियां लिखती रहो। शुभकामनाएँ🌹

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