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अभी/अनिता रश्मि

सब अपने-अपने
कमरों में
लटके हुए शान से
अपने-अपने सलीबों पर
मोबाइल में व्यस्त
मोबाइल, लैपटाॅप पर
घर के एकांत कोनों से चिपके
कितने एकाकी हैं सब
विकास की ऊँचाइयाँ
सहेजते हुए मुट्ठी में अपनी
एकाकी जीवन की सजा
भोग रहे वे
भीड़ के बीच
भीड़ से अलग-थलग
स्क्रीन की रौशनी से
चकित, ठहरे हुए
हैं चकाचौंध में
बाजार ने उन्हें
सीखचों के पीछे
करके कैद
अपनों के
हसीन मोहब्बत से
कर दिया है कितनी दूर
कितनी अधिक दूर!

लेखक

  • अनिता रश्मि मूलतः कथाकार। दो उपन्यास सहित चौदह किताबें। चार सौ से अधिक विविधवर्णी रचनाएँ प्रमुख राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। अद्यतन : हंस सत्ता विमर्श और दलित विशेषांक के पुस्तक रूप में एक कहानी "मिरग मरीचा" परिकथा द्वारा सत्ताईस कहानियां पुस्तक में कहानी "संकल्प" "सरई के फूल", "हवा का झोंका थी वह" कथा संग्रह, "रास्ते बंद नहीं होते" लघुकथा संग्रह। संपादन: डायमंड बुक्स कथामाला के अंतर्गत झारखंड की 21 नारी मन की कहानियां। अनेक प्रतिष्ठित सम्मान, पुरस्कार। इस वर्ष पांच सम्मान। शोध में रचनाएं शामिल। संपर्क : 1 सी, डी ब्लाॅक, सत्यभामा ग्रैंड, कुसई, डोरंडा, राँची, झारखण्ड -834002

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