‘जीवन के राग-विराग’/अनिता रश्मि
मणिकर्णिका घाट! सामने जलती हुई एक ताजी चिता। सीढ़ियों पर बैठे चंद लोग। उनमें वह भी…निशांत!…निराश ! हताश ! उसके हाथ में एक शहनाई है। वह शहनाई को सीने से लगाए अज़ब असमंजस में घिरा है। घर से शहनाई उठाकर ले आया था। मात्र इसलिए कि जब बजानेवाला ही नहीं रहा, तो उसकी सबसे […]