बिन स्वेटर के घूम रहा था,
चूहों का सरदार।
और साथ ही जाड़े में थी,
मफ़लर की दरकार।
भीषण सर्दी में भी उसके,
खुले हुए थे कान।
जिसके कारण मुश्किल में थी,
चूहे जी की जान।
थर-थर थर-थर कांप रहे थे,
उसके सारे अंग।
उड़ा हुआ था उसके पूरे,
चेहरे का भी रंग।
छोड़ घूमना चूहा आया,
घर को उल्टे पैर।
कहा बिना स्वेटर सर्दी में,
कभी न करना सैर।।
लेखक
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भाऊराव महंत ग्राम बटरमारा, पोस्ट खारा जिला बालाघाट, मध्यप्रदेश पिन - 481226 मो. 9407307482
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सर्दी की सैर/भाऊराव महंत