+91-9997111311,    support@sahityaratan.com

मुक्तक/आशीष कुमार पाण्डेय

अपनी सोच को ही  कलम से कागज़ पर उतार देता  हूं,
महफिल में मिले वाह वाहियां हमें इसलिए हंसा देता हूं,
दिन  रात  जो करता हूं मैं हद से ज्यादा  उद्यम सफर में,
खुश रहे परिवार इस लिए बेहिसाब पसीना बहा देता हूं,

तुम  साथ दो  यदि  मेरा, मैं  राह   समुंदर  में  बना  दूं,
तुम पास यदि  मेरे  हो  तो,गुलशन  को भी  महका दूं,
इक पल की दूरी अब बर्दास्त नहीं  होती ये  जान लो,
साथ दो यदि तुम, हयात को गुल से गुलिस्तां बना दूं।।

हौसला  बुलंद कर, कदम  उसने बढ़ा  दिए,
पत्थर को  सीसे  के  तलवार  से उड़ा  दिए।
दरिया को भी  मोड़  दिया धारा के विपरीत,
मंजिल तक पहुंचने हेतु कांटों को हटा दिए।।

इंतजार  कर  रही  आंखें  मेरी तुम्हारे आने  का,
वादा जो किया था उसको एक  बार निभाने का,
अल्फ़ाज़ ही  अब  कम पड़ गए कुछ लिख सकूं,
बेचैन  है ये  दिल  अब  हो क्या  गया जमाने का।

बात  उनकी  ही  मानी  जो  हर   बार  ही  मैने,
वो  खुश  रहें  हरवक्त  जिद  जो  ठानी थी मैंने।
हर जगह वो  किए हरदम  अपनी  ही मनमानी,
हार उनकी ही जानी हर कदम हर बार जो मैंने।।

काम  हम  ही  आयेंगे,तुम सुनो  तो  सही,
कालिमा धूल जायेगी,तुम  सिलो तो सही।
बीच रास्ते में जो हम खड़े  है  नजर  डाले,
साथ हम ही निभायेगे तुम सुनो तो  सही।।

लेखक

  • संक्षिप्त परिचय आशीष कुमार पाण्डेय संप्रति बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर उत्तर प्रदेश सरकार में कार्यरत हैं। दूरभाष +919125307100, +919415273308 विशेष उपलब्धि आसमान की ऊंचाई साझा काव्य संग्रह(2022), आधुनिक साहित्यकार पुस्तक साझा गद्य एवम् पद्य संग्रह(2023), हिन्दी भाषा के आधुनिक साहित्यकार एवम् उनकी रचनाएं (2023), प्रेम पथिक (2023) काव्य संग्रह , काव्यांजलि (2023) काव्य संग्रह एवम् पूनम की रातें (2023) काव्य संग्रह प्रकाशित । सम्मान साहित्य सागर सम्मान, देश प्रेम साहित्य सम्मान, देवभूमि ज्ञान श्री सम्मान, महर्षि पतंजलि स्मृति सम्मान 2023, माँ शारदे सेवा सम्मान, विश्व हिन्दी साहित्य रत्न सम्मान 2023, अंतर्राष्ट्रीय नारी चेतना सम्मान 2023, डा0भीमराव अम्बेडकर राष्ट्र गौरव सम्मान 2023 और Social Pride Award 2023 से सम्मानित।

    View all posts
मुक्तक/आशीष कुमार पाण्डेय

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

×