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ठहर न पाया किंतु मैं/याद राम शर्मा

अंदर सौम्य स्वभाव का,जब विस्तृत आकाश ।

तब  रिश्तों  में धुंध को, करता  कौन  तलाश ।।-1

गरज-भाव ने जब किया, छल-बल को स्वीकार ।

तब  अतिवादी  सोच  का, हुआ  और  विस्तार ।।-2

मैंने तो सच ही कहा, लगा मुझे  जो  ठीक ।

ठहर न पाया किंतु मैं, अपनों के नजदीक ।।-3

असतभाव,अतिवाद की, हुई धार जब  तेज़ ।

तब रिश्तों की भीड़ को, किसने रखा सहेज ।।-4

साँस-साँस  सद्भाव  की, देती  जहाँ  सुगंध ।

भाता वहाँ स्वभाव को, लिखना नेह-निबंध ।।-5

निठुर  भाव-व्यवहार से, हैं  जिसके  संबंध ।

कब भायी अतिवाद को, मानवता की गंध ।।-6

मुखर हुई जन-चेतना, जागा सत्य-स्वभाव ।

रिश्तों में मृदुभाव का, जब आया  ठहराव ।।-7

छल-प्रपंच अतिवाद ने, जब खोला संदूक ।

निठुर भाव-व्यवहार से, हुई न  कोई  चूक ।।-8

उम्मीदों ने  जब छुए, सच्चाई  के  पाँव ।

श्रमजीवी संवाद से, महका सारा गाँव ।।-9

मिलन-भाव व्यवहार की, जब चाहत बे-नूर ।

कौन किसी के पास तब, कौन किसी से दूर ।।-10

गरज-भरे  संवाद से, जहाँ  इरादे  स्याह ।

औरों के दुख-दर्द की,वहाँ किसे परवाह ।।-11

गाँव-गली,परिवार में, जहाँ दृष्टि बे-आब ।

पनपेगा  निश्चय  वहाँ, रिस्तों  में तेज़ाब ।।-12

याद राम शर्मा

लेखक

  • याद राम शर्मा जन्म--1951 ग्राम-फरीदपुर, पोस्ट--सुमेरा ,जिला--अलीगढ.(उ.प्र.)202126 माता जी--श्रीमति राजवती देवी पिता जी--स्व.श्री भूदेव प्रसाद शर्मा पत्नी--सुमन शर्मा शिक्षा--एम. एस सी.बी.एड प्रकाशन--पांच गजल संग्रह, चार गीत संग्रह (घाव नदी के,सूरज की दस्तक, खुशबू के स्वर,लेकिन क्यों?) दोहा संग्रह--सन्नाटों का शोर (दोहा सतसई), थे ऐसे आजाद (दोहा छंद में खंड काव्य), बिस्मिल राम प्रसाद (दोहा छंद में खंड काव्य),क्रांतिवीर सुखदेव (प्रकाशन प्रक्रिया में)

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