सच में शक्ति अकूत/डॉ. बिपिन पाण्डेय
कैसे दें दुनिया को बोलो, पक्के ठोस सबूत, सच में शक्ति अकूत! चौखट पर जाने वाले को, धमकाता कानून? होकर बरी घूमते दोषी, होता सच का खून। लथपथ बेबस बना हुआ है जग में सत्य अछूत। अनुल्लंघ्य लगते हैं सच को, सुन्दर से मेहराब। गली-गली में भटक देखता, निज प्रसार के ख्वाब। नहीं टूटते कभी […]