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नवजीवन मेल/डॉ पद्मावती

‘उफ्फ, प्लेटफॉम पर भीड़ असीमित और गर्मी जानलेवा । पता नहीं क्या सोच कर मैं ने ट्रेन से जाने का निर्णय लिया था? क्या कुछ बचत करने के चक्कर में फंस गया । उफ्फ! मूर्खता की भी हद होती है’ । शेखर अपने आप में बड़बड़ाता गाड़ी आने के क्षण  गिन रहा था । भीषण गर्मी से सर फटा जा रहा था । प्लेटफॉर्म में पाँव रखने की भी जगह नहीं थी । दरअसल उसने कई हाथ पांव मारे थे सीतापुर’ जाने के वास्ते । सीतापुर’ गुजरात और मध्यप्रदेश का सीमा-प्रांत । किसी बहुत बडी कृषि आधारित कंपनी की मशीनों की मरम्मत का अल्प-कालिक ठेका लिया था और उसी सिलसिले में काम पहली बार देखने संभालने के लिए वहाँ जाना जरूरी था । बाद में वह अपने किसी भी कर्मचारी  को भेज सकता था । मशीन अभियंता था शेखर और दस साल से इसी व्यवसाय में उसने अच्छी जगह बनाई थी । हमेशा वायुयान से ही सफर रहा आज इस तरह ट्रेन से जाना दुश्वार लग रहा था । ऐसा नहीं था कि कभी टृएन से सफर ही न किया हो, कई बार किया था पर अब वह आदत छूट गई थी और अब समय भी कहाँ है किसी के पास । मशीनी युग तेज गति का युग जो ठहरा । इतना समय कहाँ मिलता है ? लेकिन हाँ ट्रेन की यात्रा हमेशा कुछ न कुछ यादें छोड जाअती है । प्लेन में सब एक कृत्रिम औपचारिकता ओढ़े उकडे से सिकुडे से बैठे रहते है । हर कोई अपनी दुनिया में मस्त । हाँ को न हो , दूसरे की जिन्दगी में अनावश्यक दखलंदाजी असभ्यता की निशानी भी हो है , लेकिन यहाँ टृएन में , सब भेद-भाव हट जाते है । सब बहुत जल्दी हिल मिल जाते है । ,हाँ पहले जब चढ़ते है तो सभी को अपनी अपनी सीट और सीट के नीचे सामान रखनए की जगह पर अपना स्वामित्व जताने में अपना विशेषाधिकार का प्रयोग करते है । आरक्षण का हवाला देते हुए कुछ पलो के लिए ही सही , ऐसा मानकर चलते है जैसे सीट और नीचे की जगह उन्होंने खरीद ही ली हो । हाँ खरीद भी ली है कुछ समय के लिए ही सही । किसी का बैग थोडा सा भी इधर आया, तेज तरार शब्दों में अति विनम्रता के साथ उसे निकाल देने की हिदायत , फिर उसका सामान धकेल कर अपना रखने की जल्दबाजी, रखने के बाद पूरे सामानो को गिन कर चेन से बाँध कर सुरक्षित कर लेने की आतुरता , और सब प्रक्रिया पूरी होने के बाद फिर भी कुछ न कुछ एक आध बेग जब बच जाता है तो बगल वाले को देखकर अति आत्मीय मुस्कान के साथ उसकी जगह में घुसेड देना, धीरे- धीरे वातावरण को सहज बनाने की असंभव कोशिश , बड़ा मजेदार लग रहा था । शेखर सबकी मुख-मुद्राओ और इन कलात्मक चेष्टाओं को देखकर मन ही मन मुस्कुराने लगा । किताबे ही नहीं लोगों को पढ़ना भी बड़ा मनोरंजक होता है  या यूँ कहे तो किताबो से भी अधिक तो गलत नहीं । सब अपनी अपनी जगह पर अब आराम से बैटः गए थे । पहले जितनी हडबडी नहीं थी । धीरे धीरे एक दूसरे को जानने का उपक्रम भी शुरु हो गया था । शेखर बहुत इन्टृओवर्ट था । किसी से मिलना जुलना तो टःईक लेकिन अधिक निकट नहीं जा सकता था । बहुत संभाल कर बोलता और उतना ही बोलता जितनी जरूरत हो । इसीलिए शायद उसके करीबी दोस्त बहुत कम थे । उंगलियों पर गिने जा सकते थे । बस सबसे हाय हेलो और खत्म ।

सामने की सीटॉ पर

लेखक

  • डॉ पद्मावती. शैक्षिक योग्यताएँ = एम. ए, एम. फिल, पी.एच डी, स्लेट (हिंदी) जन्म स्थान = नई दिल्ली वैवाहिक स्थिति = विवाहित ई -मेल = padma.pandyaram@gmail.com संप्रति = * सह आचार्य, हिंदी विभाग, आसन मेमोरियल कॉलेज, जलदम पेट , चेन्नई, 600100 . तमिलनाडु . अध्यापन कार्य = गत 17 वर्षों से स्नातक महाविद्यालय में हिंदी भाषा • महाविद्यालयों और विश्व विद्यालयों में अतिथि व्याख्यान. • चेन्नई के कई स्वायत्त महाविद्यालयों के स्नातक परीक्षाओं में हिंदी के प्रश्न पत्रों का निर्माण तथा पांडिचेरी विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाओं में अध्यक्ष और परीक्षक की भूमिका का निर्वहण . साहित्यिक सेवाएं • चेन्नई की लब्ध प्रतिष्ठित स्वैच्छिक हिंदी संस्थान ‘ सत्याशीलता ज्ञानालय’ से जुड़कर कई साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी , अनेक साहित्यकारों का साक्षात्कार, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्टियो का संचालन और संयोजन . • हिंदी साहित्य भारती तमिलनाडु इकाई की मीडिया प्रभारी . • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्टियो में प्रतिभगिता और शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण. • ‘रचना उत्सव’ मासिक पत्रिका की दक्षिण भारत की मुख्य समन्वयक • ‘भारत दर्शन’ की संपादक (दक्षिण भारत साहित्य) प्रकाशन • विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्र -पत्रिकाओं में शोध आलेखों का प्रकाशन, • जन कृति,वीणा मासिक पत्रिका, समागम, साहित्य यात्रा जैसी लब्ध प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और साहित्य कुंज व पुरवाई कथा यू .के .जैसी सुप्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक पत्रिकाओं में नियमित लेखन कार्य , कहानी , व्यंग्य लेखन , स्मृति लेख , चिंतन, यात्रा संस्मरण, सांस्कृतिक और साहित्यिक आलेख,पुस्तक समीक्षा ,सिनेमा और साहित्य समीक्षा इत्यादि का प्रकाशन . सम्मान • हिंदी दिवस समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित ‘सत्याशीलता ज्ञानालय’ के कार्यक्रम में ७/१२/२०१३ को चेन्नई के माननीय राज्यपाल श्री के. रोसय्या द्वारा शिक्षक सम्मान प्रदान किया गया . • ‘नव सृजन कला साहित्य एवं संस्कृति न्यास’, नई दिल्ली द्वारा ‘हिंदी साहित्य रत्न सम्मान” • ‘हिंदी अकादमी, मुंबई द्वारा’ ‘विशेष हिंदी प्रचारक सम्मान 2021’ • अंतर्राष्ट्रीय महिला मंच द्वारा ‘नारी गौरव सम्मान’ • भारत उत्थान न्यास द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘ भगिनी निवेदिता सम्मान’

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