प्रश्न करने दिन खड़ा थाःसुरजीत मान जलईया सिंह
प्रश्न करने दिन खड़ा थाःसुरजीत मान जलईया सिंह डाउनलोड ई-पत्रिका (पीडीऍफ़) प्रश्न करने दिन खड़ा था नींद सन्नाटों ने तोड़ी। फूटकर रोने लगा मैं गाँव के व्यवहार पर। पेड़ से पत्ते गिरे हैं टहनियों पर फिर हंसे हैं। हर तरफ जाले घिरे हैं जुगनू उनमें जा फंसे हैं। सरसराया काल देखो जोर करती हैं हवाएं। […]