बाहर पहरा ज्ञान का ,भीतर हरि का वास/दिलजीत सिंह रील
पांव चूम पगडंडियां ,सब को रह...
वो आने का वादा कर के ना आई तमाम रात/दिलजीत सिंह रील
वो आने का वादा कर के ना आई तमì...
जगत रेल में चल रहे, भांति भांति के लोग/दिलजीत सिंह रील
खींचे इंजिन राम का, चले जगत क...
बस कुछ दिन और बरस जाए/दिलजीत सिंह रील
यह माना बहुत गिरा है पानी स्...
गीत व्यंग्य लय गज़ल गयी/दिलजीत सिंह रील
कितने सारे यार गये । हमको जि...
गाड़ी हांकों भैयाजी हमने इसमें/दिलजीत सिंह रील
तन का पर्वत मन का सागर रक्खा...
जब अंधेरे हम कर सके ना प्यार से रौशन/दिलजीत सिंह रील
हम किये थे जिनके हवाले बाग क...
नदी है वोट की गन्दी हमें उस पार जाना है/दिलजीत सिंह रील
वही बादल चले हैं क्यों गिरा&...
करों को चुकाने यार नंगे हो गये/दिलजीत सिंह रील
हम किसी को जिता के बदनाम हो ग...
जो बाप हमारे हैं जी/दिलजीत सिंह रील
जो बाप हमारे हैं जी । वो पाप ì...
