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कुंडलिया छंद की विकास यात्रा/आलेख/डॉ. बिपिन पाण्डेय

कुंडलिया शब्द की उत्पत्ति ‘कुंडलिन’ या ‘कुंडल’ शब्द से हुई है। कुंडल का अर्थ है- गोल अथवा वर्तुलाकार वस्तु। सर्प...
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बरसात के बादल/नवगीत/रवीन्द्र उपाध्याय

छा गये आकाश में बरसात के बादल ! गरजते , नभ घेरते ये जलद कजरारे झूमते ज्यों मत्त कुंजर क्षितिज...
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धूप लिखेंगे-छाँह लिखेंगे/नवगीत/रवीन्द्र उपाध्याय

धूप लिखेंगे-छाँह लिखेंगे मंजिल वाली राह लिखेंगे खुशियों के कोलाहल में जो दबी-दबी है आह, लिखेंगे। बादल काले - उजला...
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विश्वास का सम्बल/नवगीत/रवीन्द्र उपाध्याय

शब्द को जब आचरण का बल मिलेगा अर्थ को विश्वास का सम्बल मिलेगा। तपिश हो अनुभूतियों में आपकी जब आग...
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मजा कुछ और है/नवगीत/रवीन्द्र उपाध्याय

फूंक कर चलने में खतरे का नहीं है डर, मगर तेज चलने का मज़ा कुछ और है। ज़िन्दगी प्रतियोगिता है...
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जब हवाओं में है आग की-सी लहर/ग़ज़ल/रवीन्द्र उपाध्याय

जब हवाओं में है आग की-सी लहर देखिए, खिल रहे गुलमोहर किस क़दर! हौसले की बुलन्दी न कम हो कभी...
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बेदर्दों को दर्द सुना कर,क्या होगा/ग़ज़ल/रवीन्द्र उपाध्याय

बेदर्दों को दर्द सुना कर,क्या होगा बहरों की महफ़िल में गा कर क्या होगा! आस्तीन में जिसने पाला साँप यहाँ...
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किससे किसकी यारी है/ग़ज़ल/रवीन्द्र उपाध्याय

किससे किसकी यारी है दुनिया कारोबारी है ! जाल बिछा है, दाने हैं दुबका वहीं शिकारी है ! मंचों पर...
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दर्द की आँच सीख लो सहना/ग़ज़ल/रवीन्द्र उपाध्याय

दर्द की आँच सीख लो सहना चाहते हो अगर ग़ज़ल कहना फायदा रेत-घर बनाने का चन्द लम्हों में जिसे है...
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प्रश्न/कविता/रवीन्द्र उपाध्याय

नहीं गढ़े चाक पर हमने सूरज, चाँद और मिलती है हमें ढेर धूप-चाँदनी मौसम नहीं सजाये हमने और सेंकता है...
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