कितना लगान बाक़ी है/डॉ. राकेश जोशी
मंज़िलों का निशान बाक़ी है &... Read more.
हो शहर में कोई एक ऐसी नदी/डॉ. राकेश जोशी
आदमी के लिए ज़िंदगानी तो लिख ... Read more.
कुछ बुझे चूल्हे बताते रह गए/डॉ. राकेश जोशी
या मकानों का सफ़र अच्छा रहा य... Read more.
जिस क़दर लोगों की थीं मजबूरियां कुछ/डॉ. राकेश जोशी
कल ज़मीं पर आज-से दंगल नहीं थ... Read more.
खेतों में हल लेकर निकलो/डॉ. राकेश जोशी
ख़ंजर को ख़ंजर कहना है ऐसा अ... Read more.
योजनाएं क्यों बनीं/डॉ. राकेश जोशी
आपने गिरवी रखे ज... Read more.
छुपाते हम कहाँ पर आँसुओं को/डॉ. राकेश जोशी
तेरी दावत में गर खाना नहीं थ... Read more.
हमारे गाँव सुंदर कब बनेंगे/डॉ. राकेश जोशी
इन ग़रीबों के लिए घर कब बनें... Read more.
अपने घर के दरवाज़े की तख़्ती पर/डॉ. राकेश जोशी
दीवारों से कान लगाकर बैठे ह&... Read more.
क़लम का कारख़ाना क्यों/डॉ. राकेश जोशी
अगर लिखना मना है तो क़लम का क... Read more.