हकीक़त से जो नज़रें फेरते हैं/गज़ल/डॉ. भावना
हवा के साथ चल कर क्या करेंगे... Read more.
कितने टुकड़ों में है बँटी रोटी/गज़ल/डॉ. भावना
चाँद झूठा मगर सही रोटी सारे रिश्तों... Read more.
ऊँची मचान क्यों है/गज़ल/डॉ. भावना
पर्वत पिघल पड़ा तो पानी को आन... Read more.
वो संभलता चला गया/गज़ल/डॉ. भावना
जो वक्त के हिसाब से चलता चला... Read more.
वह उड़ेगा और ऊँचा देखना/गज़ल/डॉ. भावना
इक खुमारी रात की आँखों में भरता... Read more.
जिंदगी में है दोपहर/गज़ल/डॉ. भावना
कैसा अपना है ये सफर , मालिक कुछ... Read more.
और पर्दे में हमारी जिंदगी ढलती रही/गज़ल/डॉ. भावना
इस जमीं से आसमां तक इक हवा चलती... Read more.
गा रही कोयल मगन होकर/गज़ल/डॉ. भावना
बहुत नाजुक , बहुत कोमल है ये अहसास... Read more.
बचपना मेरे हिस्से बचा रह गया/गज़ल/डॉ. भावना
लोग कहते जमीं पे ख़ुदा रह गया... Read more.
खनकते ही रहेंगे पास रहकर/गज़ल/डॉ. भावना
ज़रा – सी बात पर अनबन की आदत तुरत... Read more.