शाम ढले घर लौट रहे हैं ख़ुद से ही उकताए लोग/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
शाम ढले घर लौट रहे हैं ख़ुद स... Read more.
हर वक़्त हूँ किसी न किसी इम्तिहान में/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
हर वक़्त हूँ किसी न किसी इम्... Read more.
एक मछली जो मर्तबान में है/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
एक मछली जो मर्तबान में है को... Read more.
कभी अँधेरे, कभी रोशनी में आते हुए/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
कभी अँधेरे, कभी रोशनी में आत... Read more.
मुसाफि़र हूँ इक अनजानी डगर का/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
मुसाफि़र हूँ इक अनजानी डगर &... Read more.
बादलों की सुरमई छतरी यहाँ तानी गई/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
बादलों की सुरमई छतरी यहाँ त&... Read more.
पेड़ जो खोखले, पुराने हैं/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
पेड़ जो खोखले, पुराने हैं अब... Read more.
जब कोई अक्स निगाहों में ठहर जाता है/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
जब कोई अक्स निगाहों में ठहर ... Read more.
फ़ैसलों के बीच में जो सोच की दीवार है/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
फ़ैसलों के बीच में जो सोच की... Read more.
ज़ह्न की आवारगी को इस क़दर प्यारा हूँ मैं/गज़ल/डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’
ज़ह्न की आवारगी को इस क़दर प... Read more.