बदन पे जिसके शराफ़त का पैरहन देखा/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज
बदन पे जिसके शराफ़त का पैरहन देखा... Read more.
जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज
जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर... Read more.
खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज
खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान... Read more.
जितना कम सामान रहेगा/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज
जितना कम सामान रहेगा उतना सफ़र... Read more.
जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज
जब चले जाएंगे लौट के सावन की... Read more.
अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज
अब के सावन में शरारत ये मेरे... Read more.
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया... Read more.
तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा/ग़ज़ल/गोपालदास नीरज
तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर... Read more.
ऐ भाई! जरा देख के चलो/गीत/गोपालदास नीरज
ऐ भाई! जरा देख के चलो, आगे ही नहीं... Read more.
लिखे जो ख़त तुझे/गीत/गोपालदास नीरज
लिखे जो ख़त तुझे वो तेरी याद... Read more.