वस्ल की बात जब भी आती है/ग़ज़ल/रचना निर्मल
वस्ल की बात जब भी आती है मोम सी... Read more.
क़रीब दिल के रहें किस तरह वो याराने/ग़ज़ल/रचना निर्मल
क़रीब दिल के रहें किस तरह वो... Read more.
ज़मीं पर पाँव हिम्मत बाँध कर जो धर ही लेते हैं /ग़ज़ल/रचना निर्मल
ज़मीं पर पाँव हिम्मत बाँध कर... Read more.
ज़ख़्म दिल पर हज़ार खाती हूँ/ग़ज़ल/रचना निर्मल
रस्म-ए-दुनिया मैं जब निभाती हूँ... Read more.
माँ/रचना निर्मल
1.माँ माँ गंगा सी निश्छल जिसके... Read more.