सदाये हक़ जो निकल रही है,मुआफ़... Read more.
झगड़े की शुरुआत करेंगे ज़ाहिर है/गज़ल/आर.पी. सोनकर ‘तल्ख़ मेहनाजपुरी’
झगड़े की शुरुआत करेंगे ज़ाहिर... Read more.
“भीम” की राह पर चला जाए/गज़ल/आर.पी. सोनकर ‘तल्ख़ मेहनाजपुरी’
क्यूँ किसी से लड़ा-भिड़ा जाए।... Read more.
मानता है नहीं मनाने पर/गज़ल/आर.पी. सोनकर ‘तल्ख़ मेहनाजपुरी’
मानता है नहीं मनाने पर। दूर जाता... Read more.
तुम्हारी चीख ज़ाहिर है/गज़ल/आर.पी. सोनकर ‘तल्ख़ मेहनाजपुरी’
तुम्हारी चीख ज़ाहिर है नहीं... Read more.
ख़ौफ़ का मंज़र है,क्या/गज़ल/आर.पी. सोनकर ‘तल्ख़ मेहनाजपुरी’
उधर तो ज़ुल्म का लश्कर है,क्या... Read more.