साहित्य रत्न
साहित्य की विभिन्न विधाओं का संसार
याद की परछाइयों का
साथ देने ले लिए
राह में मिल ही गया
हमको सहारा गीत का।
मूक अन्तदृष्टि की
संवेदना का स्वर मिला
कुछ दिनों से बंद फिर से
जुड़ गया है सिलसिला।
यह मधुर सौगात वैसे
तो अचानक मिल गई
मिल रहा किन्तु हमको
स्वाद मीठी जीत का।
दूरियां मजबूरियों का
मेल हो पाया नहीं
यह गनीमत है कि ज्यादा
दर्द गहराया नहीं
हो गई नाकाम सारी
नापने की कोशिशें
हैं गहन रिश्ता अतुल
गहराइयों से प्रीत का
याद की मीठी छुअन का
सुख पुन: मिलने लगा
क्योंकि मुरझाया हुआ
मन फूल फिर खिलने लगा
छटपटाहट ने कबूला
तार रिश्तों का कभी
टूटना संभव नहीं है
आज और अतीत का
मयंक श्रीवास्तव