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मासूम सवाल :कीर्ती श्रीवास्तव

कोरोना महामारी की वजह से पूरे देश की आर्थिक व्यवस्था गड़-बड़ा गई थी और मैं एक छोटी-सी नौकरी करने वाला साधारण इंसान। इस लॉकडाउन ने परिवार को चलाने का साधन छीन लिया। आज अपने घर की छोटी-सी दुकान जिसमें बिजली के लिए मीटर भी नहीं लगवा पाया था। उसे खोलने की सोच इसकी सफाई के लिए गया। सालों से बंद पड़ी दूकान के शटर को खोल कर उसमें लगे मकड़ी के जाले निकाल ही रहा था कि पास की कॉलोनी से दो छोटे बच्चे जो कोई 8 से 10 साल के होंगे आये और उन्होंने मुझसे पूछा- ‘अंकल दुकान खोल रहे हो?’

मैंने कहा- ‘हाँ, खोलेंगे।’

उसने फिर पूछा- ‘किस चीज की?’

मैंने कहा- ‘तुम बताओ, किस चीज की खोलें?’

बड़ी ही मासूमियत से वो दोनों बोले- ‘अंकल, किराना की दुकान खोलो।’

मैंने कहा- ‘बाजु में तो कितनी बड़ी किराना की दुकान है।’

उस पर बच्ची बोली- ‘वहाँ बहुत महंगा सामान मिलता है अंकल।’

यह कहकर वो चली गई और में उसे एक टक जाते देखता रहा।

कीर्ति श्रीवास्तव

मासूम सवाल :कीर्ती श्रीवास्तव
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