साहित्य रत्न
साहित्य की विभिन्न विधाओं का संसार
असर ये प्यार का मेरे दिखाई दे जाए
बिना कहे ही उसे सब सुनाई दे जाए
लिखो तो सच ही लिखो जो दिखाई दे जाए
कलम को तोड़ दो जिस दिन दुहाई दे जाए
कोई भी नाप नहीं सकता वो खुशी माँ की
जो माँ को बेटा ला पहली कमाई दे जाए
उसे कहें तो भला कैसे हम कहें मज़हब
हमें-तुम्हें जो सभी को बुराई दे जाए
सगा नहीं है न सौतेला भाई राखी पर
बहन उदास है कोई कलाई दे जाए
वो सच को झूठ में बदलेगा कब तलक आख़िर
अभी भी वक्त है आकर सफाई दे जाए
क़फ़स में कैद हूँ यादों की आज भी उसके
उसे कहो कि मुझे अब रिहाई दे जाए
रदीफ़-क़ाफ़िया मन में मिलाए बैठा हूँ
ख़याल बनके वो आए रुबाई दे जाए
मैं माँगता हूँ फ़क़त एक ही दुआ रब से
सभी को प्यार, मोहब्बत, भलाई दे जाए
अनिल ‘मानव’