साहित्य रत्न
साहित्य की विभिन्न विधाओं का संसार
एक चंदा है
उसको घेरे तारे हैं
कुछ चंदा संग चमक रहे
कुछ दूर बेचारे हैं।
वे छोटे प्यारे शिशु
छत पे लेटे सोच रहे
इस चंदा पे ये बूढ़ी दादी
जाने किसके सहारे है।
छोटे छोटे भाई बहन
तारों की हलचल देख रहे
एक सरकता दूजा सरकता
पर चुप वे डर के मारे हैं।
दिनभर की हारी थकी माँ
आकाश को अपलक निहार रही
शीतल शांत गगन में
मिट गए दर्द सारे हैं।
बबिता प्रजापति झांसी