साकेत प्रथम सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
अयि दयामयि देवि, सुखदे, सारदे,... Read more.
साकेत द्वितीय सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
लेखनी, अब किस लिए विलम्ब? बोल,-जय... Read more.
साकेत तृतीय सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
जहाँ अभिषेक-अम्बुद छा रहे थे,... Read more.
साकेत चतुर्थ सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
करुणा-कंजारण्य रवे! गुण-रत्नाकर,... Read more.
साकेत पंचम सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
वनदेवीगण, आज कौन सा पर्व है, जिस... Read more.
साकेत षष्ठ सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
तुलसी, यह दास कृतार्थ तभी- मुँह... Read more.
साकेत सप्तम सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
’स्वप्न’ किसका देखकर सविलास... Read more.
साकेत अष्ठम सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
चल, चपल कलम, निज चित्रकूट चल देखें,... Read more.
साकेत नवम सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
दो वंशों में प्रकट करके पावनी... Read more.
साकेत दशम सर्ग/मैथिलीशरण गुप्त
चिरकाल रसाल ही रहा जिस भावज्ञ... Read more.