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भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना/गीत/शैलेन्द्र

भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना
भैया मेरे छोटी बहन को ना भुलाना
देखो ये नाता निभाना निभाना
भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना
भैया मेरे छोटी बहन को ना भुलाना
भैया मेरे

ये दिन ये त्यौहार खुशी का
पावन जैसे नीर नदी का
भाई के उजले माथे पे
बहन लगाए मंगल टीका
झूमे ये सावन सुहाना सुहाना
भैया मेरे भैया मेरे
राखी के बंधन को निभाना
भैया मेरे छोटी बहन को ना भुलाना
भैया मेरे

बाँध के हमने रेशम डोरी
तुमसे वो उम्मीद है जोड़ी
नाज़ुक है जो सांस के जैसे
पर जीवन भर जाए न तोड़ी
जाने ये सारा ज़माना ज़माना
भैया मेरे भैया मेरे
राखी के बंधन को निभाना
भैया मेरे छोटी बहन को ना भुलाना
भैया मेरे

शायद वो सावन भी आए
जो पहला सा रंग न लाए
बहन पराए देश बसी हो
अगर वो तुम तक पहुँच न पाए
याद का दीपक जलाना जलाना
भैया मेरे भैया मेरे
राखी के बंधन को निभाना
भैया मेरे छोटी बहन को ना भुलाना
भैया मेरे

लेखक

  • शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923-14 दिसंबर 1966) हिन्दी व भोजपुरी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। उन्होंने राज कपूर के साथ बहुत काम किया। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला । उनका का एकमात्र काव्य-संगह 'न्यौता और चुनौती' मई 1955 ई. में प्रकाशित हुआ । शैलेन्द्र को फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' बहुत पसंद आई। उन्होंने गीतकार के साथ निर्माता बनने की ठानी। राजकपूर और वहीदा रहमान को लेकर 'तीसरी कसम' बनाई।  

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