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जब गिला वो करें चुप रहा हम करें/ग़ज़ल/रचना निर्मल

जब गिला वो करें चुप रहा हम करें
क़र्ज़ चाहत का ऐसे अदा हम करें

वो करें बेवफ़ाई वफ़ा हम करें 
आप ही अब कहें और क्या हम करें

कोई आ कर बता जाए इतना हमें
कैसे  बेताब दिल की दवा हम करें

चाहे दुनिया करे लाख ज़ुल्म-ओ-सितम
दिल को दिल से न फिर भी जुदा हम करें

हमको फ़ुर्सत महब्बत से मिलती नहीं
किस तरह काम अब दूसरा हम करें 

हर किसी पर ख़ुदा का हो रह्म ओ करम
दर प उसके ये "निर्मल" दुआ हम करें

लेखक

  • रचना निर्मल जन्मतिथि - 05 अगस्त 1969 जन्म स्थान - पंजाब (जालंधर) शिक्षा - स्नातकोत्तर प्रकाशन- 5 साझा संग्रह उल्लेखनीय सम्मान/पुरस्कार महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, कई राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर पर पुरस्कार संप्रति - प्रवक्ता ( राजनीति विज्ञान) संपर्क - 202/A 3rd floor Arjun Nagar

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जब गिला वो करें चुप रहा हम करें/ग़ज़ल/रचना निर्मल

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