होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो
न उमर की सीमा हो, न जनम का हो बंधन
जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन
नई रीत चलाकर तुम, ये रीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम …
जग ने छीना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे, मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम …
आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में
पायल छनकाती तुम, आ जाओ जीवन में
साँसें देकर अपनी, संगीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम …
लेखक
-
श्यामलाल बाबू राय इन्दीवर (1 जनवरी 1924-27 फरवरी 1997) हिन्दी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म ग्राम धम्मा, झांसी, (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। वह गीतकार बनने के लिए मुंबई में आ गए थे। यहां उन्होंने सफ़लता की ऊंचाईयों को छुआ और 300 से अधिक फ़िल्मों में 1000 से भी अधिक गाने लिखे। उनकी कलम से हर मिज़ाज के स्वर निकले। 1976 में अमानुष फ़िल्म के "दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा" गीत को फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार मिला ।
View all posts
होंठों से छू लो तुम/गीत/इंदीवर