हम छोड़ चले हैं महफ़िल को
याद आए कभी तो मत रोना
इस दिल को तसल्ली दे देना
घबराए कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को …
एक ख़्वाब सा देखा था हमने
जब आँख खुली वो टूट गया
ये प्यार अगर सपना बनकर
तड़पाये कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को …
तुम मेरे ख़यालों में खोकर
बरबाद न करना जीवन को
जब कोई सहेली बात तुम्हें
समझाये कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को …
जीवन के सफ़र में तनहाई
मुझको तो न ज़िन्दा छोड़ेगी
मरने की खबर ऐ जान-ए-जिगर
मिल जाए कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को …
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को/गीत/इंदीवर