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फूल तुम्हें भेजा है/गीत/इंदीवर

फूल तुम्हें भेजा है ख़त में, फूल नहीं मेरा दिल है
प्रीयतम मेरे तुम भी लिखना, क्या ये तुम्हारे क़ाबिल है
प्यार छिपा है ख़त में इतना, जितने सागर में मोती
चूम ही लेता हाथ तुम्हारा, पास जो मेरे तुम होती
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में …

नींद तुम्हें तो आती होगी, क्या देखा तुमने सपना
आँख खुली तो तन्हाई थी, सपना हो न सका अपना
तन्हाई हम दूर करेंगे, ले आओ तुम शहनाई
प्रीत लगा के भूल न जाना, प्रीत तुम्हीं ने सिखलाई
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में …

ख़त से जी भरता ही नहीं, अब नैन मिले तो चैन मिले
चाँद हमारी अंगना उतरे, कोई तो ऐसी रैन मिले
मिलना हो तो कैसे मिलें हम, मिलने की सूरत लिख दो
नैन बिछाये बैठे हैं हम, कब आओगे ख़त लिख दो
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में …

लेखक

  • श्यामलाल बाबू राय इन्दीवर (1 जनवरी 1924-27 फरवरी 1997) हिन्दी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म ग्राम धम्मा, झांसी, (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। वह गीतकार बनने के लिए मुंबई में आ गए थे। यहां उन्होंने सफ़लता की ऊंचाईयों को छुआ और 300 से अधिक फ़िल्मों में 1000 से भी अधिक गाने लिखे। उनकी कलम से हर मिज़ाज के स्वर निकले। 1976 में अमानुष फ़िल्म के "दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा" गीत को फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार मिला ।

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