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दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा/गीत/इंदीवर

दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा
एक भले मानुष को
अमानुष बना के छोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा

सागर कितना मेरे पास है
मेरे जीवन में
फिर भी प्यास है
सागर कितना मेरे पास है
मेरे जीवन में
फिर भी प्यास है
है प्यास बड़ी जीवन थोड़ा
अमानुष बना के छोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा

कहते है ये दुनिया के रास्ते
कोई मंज़िल नहीं तेरे वास्ते
कहते है ये दुनिया के रास्ते
कोई मंज़िल नहीं तेरे वास्ते
नाकामियों से नाता मेरा जोड़ा
अमानुष बना के छोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा

डूबा सूरज फिर से निकले
रहता नहीं है अँधेरा
मेरा सूरज ऐसा रूठा
देखा न मैंने सवेरा
उजालों ने साथ मेरा छोड़ा
अमानुष बना के छोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ ऐसा मोड़ा

लेखक

  • श्यामलाल बाबू राय इन्दीवर (1 जनवरी 1924-27 फरवरी 1997) हिन्दी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म ग्राम धम्मा, झांसी, (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। वह गीतकार बनने के लिए मुंबई में आ गए थे। यहां उन्होंने सफ़लता की ऊंचाईयों को छुआ और 300 से अधिक फ़िल्मों में 1000 से भी अधिक गाने लिखे। उनकी कलम से हर मिज़ाज के स्वर निकले। 1976 में अमानुष फ़िल्म के "दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा" गीत को फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार मिला ।

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