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हवा को साफ़ नदी ताल को भरे रखना/ग़ज़ल/सुभाष पाठक’ज़िया’

हवा को साफ़ नदी ताल को भरे रखना,
ये चाहते हो तो जंगल सभी हरे रखना।

सुखों दुखों का ही हासिल है ज़िन्दगी यारब,
कहीं पे धूप कहीं छांव भी करे रखना।

बुलंदियों से ख़ुदाया नवाज़ना मुझको,
मगर ग़ुरूर हसद झूठ से परे रखना।

किसी के खोटे सौ सिक्कों से लाख बेहतर है,
भले हों चार ही सिक्के मगर खरे रखना।

हमें तो प्यारी ये संजीदगी हमारी है,
तुम अपनी बज़्म में चाहो तो मसखरे रखना।

‘ज़िया’ ज़मीं पे बना लेना सरहदें लेकिन,
न आप दिल में कहीं कोई दायरे रखना।

लेखक

  • सुभाष पाठक'ज़िया' जन्मतिथि- 15 सितम्बर 1990 प्रकाशन- 1'दिल धड़कता है' (ग़ज़ल संग्रह)2020 2.‘तुम्हीं से ज़िया है’ (ग़ज़ल संग्रह) 2022 3. हम लिखें ज़िन्दगी ज़िन्दगी (ग़ज़ल संग्रह) 2023 संपादन - 1. 'ये नये मिज़ाज का शहर है' (ग़ज़ल संग्रह) 2021 2. 'ये असर होता है दुआओं में' (ग़ज़ल संग्रह) 2023 सम्मान - 1.ग़ज़ल संग्रह 'हम लिखें ज़िन्दगी ज़िन्दगी' ,मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी,मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद 'पन्नालाल श्रीवास्तव' 'नूर' सम्मान 2023 से पुरस्कृत। 2.ग़ज़ल संग्रह 'तुम्हीं से ज़िया है' हेमन्त फाउंडेशन के प्रतिष्ठित पुरस्कार 'हेमन्त स्मृति कविता सम्मान' 2022 से पुरस्कृत 3. महमूद ज़की ग़ज़ल सम्मान 2024, मप्र.लेखक संघ भोपाल, कैलाश गौतम सम्मान, गुफ़्तगू प्रयागराज 2024, सुधा काशिव ग़ज़ल सम्मान नागपुर, 2024, पुनर्नवा सम्मान 2019 मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन, शाद अज़ीमाबादी सम्मान 2021 पटना, अदबी उड़ान ग़ज़ल सम्मान उदयपुर 2017, एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित पता - ग्राम व पोस्ट समोहा, तहसील करेरा,ज़िला शिवपुरी, मध्यप्रदेश 473660 मो. 8878355676

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